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कार्बोलिक एसिड, Carbolic acid, फीनॉल, Phenol

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यह एक रंगहीन रवेदार पदार्थ है, जिसके रवे सूई के आकार के होते हैं। हवा में खुल रहने पर वायु से नमी ग्रहण कर लेते हैं और इसमें एक अजीब तरह की गन्ध आती है। यह स्वाद में मीठा व तिक्त (Pungent) होता है। कार्बोलिक एसिड का एक भाग पानी में घुलनशील है। इसके अतिरिक्त यह एल्कोहॉल, ईथर, क्लोरोफॉर्म एवं ग्लिसरीन में पूर्ण रूप से घुलनशील है।

औषधीय गुण: बाह्य प्रयोग में कार्बोलिक एसिड, ‌‌‌प्रदाहक (Caustic), निस्संक्रामक (Disinfectant), ‌‌‌रोगाणुनाशक (Antiseptic), दुर्गंधहारक (Deodorant), पैरासिटीसाइड व लोकल एनेस्थै​‌‌‌टिक है। आन्तरिक प्रयोग में यह गैस्ट्रिक सैडे​‌‌‌टिव, इन्टेस्टाइनल ‌‌‌रोगाणुनाशक (Antiseptic) और एण्टीजाइमो​‌‌‌टिक है।

कार्बोलिक एसिड से तैयार होने वाली औषधीयाँ

द्रवीय फीनोल (Liquified Phenol) - 800 भाग फीनोल में 200 भाग ‌‌‌आसुत जल (Distilled water) मिलाने से एक रंगहीन द्रव तैयार हो जाता है जो रखे रहने पर हल्के गुलाबी रंग का हो जाता है। प्रयोग करने से पूर्व इसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर और फिर पानी डालकर पतला कर लेते हैं। ऐसा करने से इसका उत्तेजक (Irritation) गुण नष्ट हो जाता है। इसकी औषधीय मात्रा इस प्रकार से है

घोड़ा

1.0-1.75 मि.ली.

गाय, भैंस

1.75-3.55 मि.ली.

कुत्ता

0.06-0.12 मि.ली.

फीनोलयुक्त ग्लिसरीन (Glycerized Phenol) - 480 भाग ग्लिसरीन में 170 भाग फीनोल मिलाकर तैयार किया जाता है।

फीनोल युक्त तेल (Phenolated oil) - 5 भाग फीनोल में 95 भाग मूँगफली और अलसी का तेल मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका उपयोग इस प्रकार किया जाता है।

इसका 5 प्रतिशत घोल घावों के धोने में प्रयुक्त होता है।

कुत्तों ‌‌‌द्वारा काटे घाव, अथवा साँप द्वारा काटे गये स्थान को जलाने के लिए शुद्ध फीनोल प्रयोग किया जाता है।

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