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पराली का पशु आहार में उपयोग - ‌‌‌भाग - 2

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यूरीया उपचारित पराली

पराली को यूरीया से उपचारित करने से इसमें पोषक तत्त्वों का मूल्यवर्द्धन होता है। साथ ही यूरीया उपचारित पराली की स्वादिष्टता बढ़ जाने से पशुओं द्वारा ज्यादा खाया जाता है। यूरीया से उपचारित करने से पराली पशुओं की स्वास्थ्य गुणवत्ता को को भी बनाए रखती है। पराली को यूरीया से उपचारित करने के लिए 100 किलोग्राम पराली, 40 लीटर पानी व 4 किलोग्राम यूरीया की आवश्यकता होती है। इसके अलावा पोलीथिन सीट, पानी की फुव्वारा केन व बाल्टी की भी आवश्यकता है।

आवश्यकतानुसार पोलीथिन की चौड़ी सीट को जमीन पर फैला लें व उस पर एक-चौथाई कुट्टी कटी हुई पराली को फैला कर उस पानी में घोली हुइ यूरीया को छिड़क दें। फिर इसको अच्छी प्रकार से मिला लें। इसके बाद फिर एक-चौथाई पराली इसके ऊपर फैला लें और यूरीया घोल छिड़कें व मिला लें। और इस प्रकार बाकि की बची हुई पराली की कुट्टी को भी एक-एक चौथाई भाग करके मिला लें। अब भली-भान्ति मिश्रित संघटकों को पोलीथिन में वायु-रहित करके (या कम-से-कम वायु) 21 दिनों तक ढक कर रख दें। पराली को यूरीया से उपचारित करने में निम्नलिखित सावधानियाँ बर्तनी चाहिए:

1. यूरीया व पानी की मात्रा सही होनी चाहिए और यूरीया को पानी में अच्छी तरह से घोलें।

2. यूरीया के घोल का छिड़काव कुट्टी कटी हुइ पराली पर समान रूप से करना चाहिए अन्यथा उपचारित पराली जहरीली भी हो सकती है।

3. पराली की ढेरी अच्छी तरह दबा कर बनानी चाहिए व इस ढेरी को वर्षा और सूर्य की रोशनी से भी बचाना चाहिए।

4. ढेरी को पोलीथिन से अच्छी तरह से ढकना चाहिए ताकि अधिक उपचारण का लाभ मिल सके।

यूरीया उपचारित पराली को पशुओं को खिलाने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखे:

1. उपचारित पराली की ढेरी को एक तरफ से ही खोलें व आवश्यकतानुसार ही चारा बाहर निकालें और चारा बाहर निकालने के बाद पुन: ढेरी को अच्छे से बन्द कर दें ताकि अमोनिया गैस अन्दर ही रहे।

2. उपचारित पराली को पशुओं को खिलाने से पहले 10-15 मिनट हवा में खुला छोड़ दें ताकि अमोनिया गैस की तीव्र गन्ध कम हो जाए।

3. कवक ऊपजी उपचारित पराली कभी भी पशुओं को न खिलाएं।

4. उपचारित पराली को शुरू में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में (लगभग एक किलोग्राम) अन्य आहार के साथ दें। 8-10 दिन में इसको पर्याप्त मात्रा में खिलाया जा सकता है।

5. उपचारित पराली के साथ 20-50 ग्राम खनिज मिश्रण भी पशुओं अवश्य दें।

6. छ: महीने की उम्र से कम पशुओं को यूरीया उपचारित पराली या तुड़ी नही देनी चाहिए।

सम्पूर्ण आहार इष्टिका

सम्पूर्ण आहार इष्टिका के निम्नलिखित लाभ हैं:

1. सम्पूर्ण आहार इष्टिका सूखे चारे एवं भूसे की तुलना में भण्डारण में दो-तिहाई स्थान कम घेरती हैं।

2. पशु इन्हे चाव से खाते हैं।

3. इष्टिका के माध्यम से पशुओं को अस्वादिष्ट खाद्य पदार्थ भी खिलाये जा सकते हैं।

4. सूखे चारे की अपेक्षा इस ’सम्पूर्ण आहार इष्टिका’ का पाचन एवं पोषक मान अधिक अधिक है।

5. यह पशु की दैनिक निर्वाह एवं उत्पादन हेतु पोषक तत्त्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।

6. पशुओं के रूमेन (गाय-भैंस) में इसका किण्वन उचित प्रकार से होता है, फलस्वरूप उसे पोषक तत्त्वों की अधिक आपूर्ति होती है।

7. ऊर्जा और प्रोटीन के तारम्य के कारण इससे पशुआहार की स्वादिष्टता व पाचकता में बढ़ोतरी होती है।

8. पशु द्वारा झूठन के रूप में पशु चारे को कम छोड़ता है अर्थात चारे की कम मात्रा में बर्बादी होती है।

9. अकाल जैसी परिस्थितियों में इन इष्टिकाओं को अकाल ग्रस्त क्षेत्रों में कम परिवहन खर्च में आसानी से ले जाया जा सकता है।

10. इनके बनाने व उपयोग से पशु पोषण पर आने वाला खर्च कम किया जा सकता है।

इन इष्टिकाओं के शीरा (30-35%), यूरीया (5-10%), अनाज का चौकर (15-25%), खल (10-20%), नमक (5-7%), चूना (5-10%), खनिज मिश्रण (1-2%) का उपयोग किया जाता है। लेकिन इसमें पराली की कुट्टी बनाकर भी बनाया जा सकता है। जिससे न केवल पराली के निष्पासन (disposal) में आसानी होगी बल्कि उसका सही उपयोग भी सम्भव है।

पराली का साइलेज (आचार) बनाना

साइलेज उस चारे से बनता है जिनमें घुलनशील शर्करा की मात्रा अधिक होती है। अनाज वाले चारे जैसे कि मक्का, ज्वार, बाजरा, घास आदि इसके काफी अच्छे होते हैं। अच्छी मात्रा में शर्करा होना प्राकृतिक किण्वन के लिए अच्छी होती है। विभिन्न प्रकार के चारे या घास से अकेले अथवा उन्हे मिश्रित करके भी साइलेज बनाया जा सकता है। पराली में जब 40-50 प्रतिशत नमी होती है तब इसकी कुट्टी काटकर साइलेज बनाने के काम में ले सकते हैं। पराली में शर्करा की मात्रा कम होती है। इसलिए शर्करा की मात्रा को पूरा करने के लिए 4 किलोग्राम गुड़ या शीरा मिलाना चाहिए। पराली के साथ मक्का/ज्वार/बाजरा की कड़बी को भी मिलकर साइलेज बनाया जा सकता है।

 

‌‌‌विशेष: यूरीया उपचारित चारा पशुओं के लिए घातक हो सकता है। कृप्या वैज्ञानिकों की देखरेख में इसका उपयोग करें।

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संदर्भ

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