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रेबीज रोग का इतिहास

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रेबीज रोग का इतिहास 

 

डा. के.एल. दहिया*

*पशु चिकित्सक, राजकीय पशु हस्पताल, हमीदपुर (कुरूक्षेत्र) - हरियाणा

रेबीज का इतिहास बहुत पुराना है जिसका संप्क्षति विवरण इस प्रकार है :  

  • रेबीज रोग लगभग 2300 ईसा पूर्व वर्षों से जाना जाता है (Colville and Berryhill, 2007; Zhu and Liang, 2012)

  • 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व, ग्रीक के प्राचीन महाकाव्य इलिअद (Iliad) के अनुसार होमर ने रेबीज शब्द का उपयोग किया था, उन्होने आकाश में कुत्ते के आकृति जैसे तारों के समूह का उल्लेख किया, उनके अनुसार यह मानव जाति के  स्वास्थ्य पर एक घातक प्रभाव डालता है (Blancou J. 2004)।

  • चीन में मानव रेबीज को पहले मास्टर ज़ूओ में 556 ईसा पूर्व वर्ष के आसपास वर्णित किया गया था (Zhu and Liang, 2012)

  • भारत में कुत्ते पालने का इतिहास सदियों पुराना है। वैदिक काल में रचित अथर्ववेद में मृत्यु के देवता, यमराज के साथ-साथ एक कुत्ते के चलने का वर्णन है (Menezes 2008)। इसका अर्थ है कि भारत में रेबीज रोग का प्राचीन काल से सम्बन्ध रहा है।

  • ऐसा माना जाता है कि लगभग 500 ईसा पूर्व वर्ष डेमोक्रिटस (Democritus) ने कुत्तों में रेबीज का पहला अभिलेख करने का वर्णन मिलता है (Steele and Fernades 1991)

  • पहली शताब्दी में सेलसस (Celsus) एवं उसके समकालिन चिकित्सकों ने स्वीकार किया कि पागल कुत्तों की लार में जहरीला तत्व होता है (Steele and Fernades 1991)

  • 1885, जुलाई 6, लुईस पाश्चर ने 9 वर्ष के बच्चे जोसेफ (जिसको रेबीज से ग्रसित कुत्ते ने काट लिया था) को हर रोज टीकाकरण किया जिससे वह बच गया था (Colville and Berryhill, 2007)।

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