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श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 3

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श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 1उद्धरण - 2उद्धरण - 3


The marvel of the Bhagvad Gita is it’s truly beautiful revelation of life’s wisdom which enable philosophy to blossom in to religion. श्री गीता जी के दिव्य धर्म रूपी उपवन में दर्शन-शास्त्र प्रफुल्लित होता है। - हर्मन कार्ल हेस (जर्मन नोबल पुरस्कार)


Perhaps the most beautiful work of the literature of the world. सम्पूर्ण विश्व के साहित्य जगत् में श्रीमद्भगवद्गीता सबसे सुन्दर कृति है। - हर्मल ग्राफ कीसर लिंग (बाल्टिक जर्मन दार्शनिक)


Bhagvad Gita the most beautiful and the greatest work of knowledge and philosophy. Gita is the most beautufula perhaps the only philosophical song existing in any known language. श्रीमद्भगवद्गीता विश्व की सबसे सुन्दर एवं महान ज्ञान की दार्शनिक कृति है। सबसे सुन्दर, सम्भवत: एकमात्र अध्यात्मिक संगीत जो किसी ‌‌‌ग्रन्थ में उपलब्ध है, वह है गीता। - फ्रैडरिक विल्हेम फॉन हम्बोल्ट

श्रीमद्भगवद्गीता जी से करोड़ों मनुष्यों ने शान्ति एवं आन्नद को प्राप्त किया है। यह ग्रन्थ कष्टनिवारक एवं मोक्षदायक है। - आर्थर विलियम राइडर


Shrimad Bhagwad Gita is the spiritual guide to the world of India. श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय जगत् का आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक है। - ओक्ताविओ पाज


England (west) could not produce such a book as the Geeta. ‘जीवन और जगत में ऐसी कोर्इ समस्या नहीं जिसका समाधान गीता में नही है। - राल्फ वाल्डो इमर्सन (अमेरीकन दार्शनिक)


“In the morning I bathe my intellect in the stupendous and cosmogonal philosophy of the Bhagwad Gita” प्रात:काल उठकर मैं अपने हृदय, मन एवं विवके को गीता रूपी पवित्र गंगाजल से स्नान करवाता हूँ । - हेनरी डेविड थोरो (अमेरीकन दार्शनिक)


No work in all Indian literature is more quoted, because none is better Loved in the west than the Bhagwad Gita. भारतीय साहित्य की कोर्इ भी कृति श्रीमद्भगवद्गीता से अधिक उद्धृत नही है, क्योंकि पश्चिम में इससे अधिक किसी ग्रन्थ को पसन्द नही किया गया। -मैकग्रैगर स्कॉटलैण्ड (अमेरीकन शिक्षाविद्)


श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दु धर्म का अति महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसकी लोकप्रियता एवं सत्ता हजारों वर्षों से अक्षुण्ण है। - जे.ए.बी. बुन्तेनेन (संस्कृत प्रोफेसर, शिकागो विश्वविद्यालय)


गीता मेरी जान है,

मेरी शान है

इसे छोड़ूँ कैसे!

‌‌‌कृष्ण की पहचान यही

मुख मोड़ूँ कैसे!

पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी गीतानन्द जी महाराज (वीर जी)


भारत के लिए भगवान् का इक वरदान है ‘गीता’ सच पूछो तो इस देश की पहचान है ‘गीता’ - पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी गीतानन्द जी महाराज (वीर जी)


जो मनुष्य अपनी जीवनचर्या भगवद्गीता के विचारों पर ढाल लेता है, वह इस संसार रूपी कुरूक्षेत्र का विजेता बन जाता है। - स्वामी रामतीर्थ जी


भगत सिंह जी श्री गीता जी को अपने स्वतन्त्रता संग्राम को प्रेरणा स्त्रोत मानते थे। उनके द्वारा हस्ताक्षरित श्री गीता जी उनके पैतृक गाँव खटकर कलाँ के संग्राहलय में प्रदर्शित है। - भगत सिंह (शहीद-ए-आजम)

शहीद खुदीराम बोस से पुछा गया कि तुम्हारी अन्तिम इच्छा क्या है? तो उन्होने कहा कि ‘मैं मृत्यु के समय में श्रीगीता जी को अपने साथ रखना चाहता हूँ।’ - खुदीराम बोस (प्रथम बालक शहीद स्वतन्त्रता सेनानी)


आप ने बलिदान के समय अपने हाथों में श्री गीता जी को रखा था। - मदन लाल ढींगरा (स्वतन्त्रता सेनानी)


गीता ही मेरा जीवन है, मैं गीता श्लोकों को अपने प्रत्येक क्षण अनुभव करने का प्रयास करता हूँ। -हनुमान प्रसाद ‌‌‌पोद्दार जी


गीता सर्वशास्त्रमयी है, सकल मानव जाति को गीता को भली-भान्ति धारण चाहिए। गीता ज्ञान के पष्चात् अन्य किसी ज्ञान की क्या अवाश्यकता है। - जयदयाल गोयन्दका जी


जैसे भगवान् प्राणिमात्र के सुहृद् हैं (गीता 5/29) ऐसे ही उनकी वाणी भी प्राणिमात्र को सुहृद् है। गीता सर्वतोभद्र है। - स्वामी रामसुखदास जी


धर्म जागरण एवं कर्मनिष्ठा का सबसे बड़ा स्त्रोत श्रीमद्भगवद्गीता ग्रन्थ है। मैं अपने जीवनकाल के सत्कर्मों की प्रेरणा स्त्रोत इसे ही मानता हूँ। - श्री अशोक सिंघल


‘गीता में सार्वभौम सिद्धान्तों का दिग्दर्शन है और उसका मन्तव्य गहन होते हुये भी जीवन का स्पष्ट मार्ग करना है। गीता का ‘निष्काम कर्म सिद्धान्त’ एक ऐसा सिद्धान्त है जिसे पकड़ लेने से जीवन की उलझन भरी समस्यायें अपने आप सुलझने लगती हैं। - भूतपूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री


गीता जगत जननी है। वह किसी को निराश वापस नहीं करती। उसका द्वार उन सबके लिए खुला पड़ा है, जो उसमें प्रवेश करना चाहते हैं। गीता का सच्चा भक्त और अनुयायी कभी निराश नही होता। -महात्मा गाँधी


श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वत: मानव अस्तित्त्व की अध्यात्मिक आधारशिला है। - जवाहर लाल नेहरू (प्रथम प्रधान मंत्री, भारत)


 

मेरी यह अभिलाषा और जगदाधार जगदीश से यह प्रार्थना है कि मैं अपने जीवन में यह समाचार सुन लूँ की बड़े से बड़े और छोटे से छोटे तक प्रत्येक हिन्दु सन्तान के घर में एक भगवद्गीता की पोथी भगवान् की मूर्ति के समान भक्ति और भावना के साथ रखी जाती है। - पं. मदन मोहन मालवीय

श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 1; उद्धरण - 2; उद्धरण - 3

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