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श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 3
श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 1; उद्धरण - 2; उद्धरण - 3
The marvel of the Bhagvad Gita is it’s truly beautiful revelation of life’s wisdom which enable philosophy to blossom in to religion.
श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 2
श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 1; उद्धरण - 2; उद्धरण - 3 श्री गीता जी का स्पेनिश भाषा में अनुवाद किया तथा विमोचन के समय श्री गीता पुष्पों से ढकी हुर्इ थी और उसके...श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 1
श्रीमद्भगवद्गीता उद्धरण - 1; उद्धरण - 2; उद्धरण - 3 श्रीमद्भवद्गीता में कर्मयोग, ज्ञानयोग एवं भक्तियोग की बहुत सुन्दर ढंग से चर्चा हुर्इ है। इसे सभी लोगों को पढ़ना चाहिए। - डा. भीमराव...श्रीमद्भगवद्गीता - अठाहरवां अध्याय
अर्जुन बोले - हे महाबाहो! हे अन्तर्यामीन्! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग के तत्त्व को पृथक्-पृथक् जानना चाहता हूँ। श्रीभगवान् बोले - कितने ही पण्डितजन...श्रीमद्भगवद्गीता - सत्रहवां अध्याय
अर्जुन बोले - हे कृष्ण! जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर श्रद्धा से युक्त देवादि का पूजन करते हैं, उनकी स्थिति फिर कौन सी...श्रीमद्भगवद्गीता - सोलहवां अध्याय
श्रीभगवान् बोले - भय का सर्वथा अभाव, अन्त:करण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्व ज्ञान के लिए ध्यान योग में निरन्तर दृढ़ स्थिति और सात्विक दान, इन्द्रियों...श्रीमद्भगवद्गीता - पन्द्रहवां अध्याय
श्रीभगवान् बोले - आदिपुरूष परमेश्वर रूप मूल वाले और ब्रह्मा रूप मुख्य शाखा वाले जिस संसार रूप पीपल के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं, तथा...श्रीमद्भगवद्गीता - चौदहवां अध्याय
श्रीभगवान् बोले - ज्ञानों में भी अति उत्तम उस परम ज्ञान को मैं फिर कहूँगा, जिसको जानकर सब मुनिजन इस संसार से मुक्त होकर परम...श्रीमद्भगवद्गीता – तेरहवां अध्याय
श्रीभगवान् बोले - हे अर्जुन! यह शरीर ‘क्षेत्र‘ नाम से कहा जाता है और इसको जो जानता है उसको ‘क्षेत्रज्ञ’ नाम से उनके तत्त्व को...श्रीमद्भगवद्गीता – बारहवां अध्याय
अर्जुन बोले - जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरन्तर आपके भजन-ध्यान में लगे रह कर आप सगुण रूप परमेश्वर को और दूसरे जो...श्रीमद्भगवद्गीता – ग्यारहवां अध्याय
अर्जुन बोले - मुझ पर अनुग्रह करते के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात् उपदेश कहा, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो...श्रीमद्भगवद्गीता – दसवां अध्याय
श्रीभगवान् बोले - हे महाबाहो! फिर भी मेरे परम रहस्य और प्रभावयुक्त वचन को सुन, जिसे मैं तुझ अतिशय प्रेम रखने वाले के लिए हित...श्रीमद्भगवद्गीता– नौवां अध्याय
श्रीभगवान् बोले - तुझ दोषरहित भक्त के लिए इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुन: भली-भान्ति कहूँगा, जिसको जानकर तू दु:खरूप संसार से मुक्त...श्रीमद्भगवद्गीता - आठवाँ अध्याय
अर्जुन ने कहा -हे पुरूषोत्तम! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कम क्या है? अधिभूत नाम से क्या कहा गया है और अधिदैव किसको...श्रीमद्भगवद्गीता - सातवाँ अध्याय
श्रीभगवान् बोले - हे पार्थ! अनन्य प्रेम से मुझ में आसक्तचितत्त तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर योग में लगा हुआ तू जिस प्रकार...श्रीमद्भगवद्गीता - छट्टा अध्याय
श्रीभगवान् बोले - जो पुरूष कर्म फल का आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म करता है, वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्नि का...श्रीमद्भगवद्गीता - पांचवा अध्याय
अर्जुन बोले - हे कृष्ण! आप कर्मों के सन्यास की और फिर कर्मयोग की प्रशंसा करते हैं। इसलिए इन दोनों में से जो एक मेरे...श्रीमद्भगवद्गीता – चौथा अध्याय
श्रीभगवान् बोले - मैंने इस अविनाशी योग को सूर्य से कहा था; सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र...श्रीमद्भगवद्गीता – तीसरा अध्याय
अर्जुन बोले - हे जनार्दन! यदि आपको कर्म की अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य है तो हे केशव! मुझे भयंकर कर्म में क्यों लगाते है? आप मिले...श्रीमद्भगवद्गीता - दूसरा अध्याय
संजय बोले - उस प्रकार करूणा से व्याप्त और आँसुओं से पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रों वाले शोकयुक्त उस अर्जुन के प्रति भगवान् मधुसूदन ने यह...Log in
Featured author
Dr. K.L. Dahiya
Veterinary Surgeon, Department of Animal Husbandry & Dairying, Haryana - India