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सिफारिशें - ज़हर-मुक्त खेती - ‌‌‌गेहूँ की खेती

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‌‌‌‌‌‌अंतिम जुताई एवं खरपतवार को मिट्टी में मिलाने के बाद ढलान के विरूद्ध दिशा में 3 फुट पर इस प्रकार से नालियाँ निकालें कि नाली की ऊपर की चौड़ाई 1.5 फुट एवं गहराई 10 ईंच हो। बन्सी गेहूँ के बीज बोएं।

गद्दी के दोनों किनारे गेहूँ के बीज संस्कारित करके 9 - 9 ईंच पर लगा दें। जब गेहूँ अंकुरित ‌‌‌होकर ऊपर आएगा, उस समय गदी के मध्य में, गेहूँ के कतारों के बीच, चने के 2-2 बीज बीजामृत से संस्कारित करके 1-1.5 फुट के अन्तराल पर डाल दें। गेहूँ की बुवाई के दौरान नाली के ऊपर के किनारे पर ऋतु के अनुसार गाजर, मूली, बीट, शलगम, पालक, मेथी, धनिया - इन में से 1-1 फसल 1-1 कतार में बीजामृत में संस्कारित करके बोएं। चना अंकुरित होकर ऊपर आने के उपरान्त, चने के 2 पौधों के बीच जहाँ खाली जगह हो वहाँ 9 x 9 फुट पर सरसों/राई के 2-2 ‌‌‌दाने बीजामृत में संस्कारित करके डाल दें। गेहूँ पर आने वाले रस चुसक कीटों को सरसों अपनी तरफ आकर्षित करेगी और गेहूँ सुरक्षित रहेगा

गेहूँ की बीज बुआई पद्धति: बीज बुआई पद्धति में 1 फुट के अन्तराल पर 2 कतारें गेहूँ एवं 1 कतार ‌‌‌चना/मसूर/मटर की लें। बाद में और 2 कतारें गेहूँ, 1 कतार चना ...... इस प्रकार क्रम चलता रहेगा। प्रत्येक 2 कतार के बीच की दूरी 1 फुट होगी। बाद में चने के अंकुर निकलने के बाद जहाँ खाली जगह है वहाँ 9-9 फुट पर सरसों लगाएं। फव्वारे से सिंचाई पर अधिक लाभ होता है।

छिड़काव:

‌‌‌छिड़काव क्रम

‌‌‌समय

मात्रा (प्रति एकड़)

1

‌‌‌बीज बुवाई/रोपाई के 1 माह बाद

‌‌‌100 लीटर पानी + 5 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

2

‌‌‌पहले छिड़काव के 21 दिन बाद

‌‌‌150 लीटर पानी + 10 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

3

‌‌‌दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद

200 लीटर पानी + 20 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

4

‌‌‌‌‌‌अंतिम छिड़काव

‌‌‌* गेहूँ के दाने जब दुग्धावस्था में होते हैं

‌‌‌200 लीटर सप्तधान्यांकुर अर्क

अथवा

200 लीटर पानी + 5 लीटर खट्टी लस्सी (3 दिन पुरानी)

ß (विषय-सूचि पर जाएं)

गेहूँ की खेती; धान की खेती; सब्जियों की खेती; कपास ‌‌‌एवं ‌‌‌सब्जियों की खेती; गन्ने की खेती; आलू एवं सरसों की ‌‌‌खेती; अरहर, हल्दी ‌‌‌एवं मिर्च की खेती; पंचस्तरीय बागवानी; जीवामृत; घनजीवामृत; बीजामृत; सप्त-धान्यांकुर; नीमास्त्र; अग्नि-अस्त्र; ब्रह्मास्त्र; दशपर्णी अर्क; फफूंदनाशक (फंगीसाइड); आच्छादन; ‌‌‌जीवनद्रव्य, ह्यूमस; वाफसा और वृक्षाकार प्रबन्धन; सूक्ष्म पर्यावरण; पद्मश्री सुभाष पालेकर जी; अन्तिम पृष्ठ

 

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