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सिफारिशें - ज़हर-मुक्त खेती - धान की खेती

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सिफारिशें - ज़हर-मुक्त खेती - ‌‌‌धान की खेती

‌‌‌किस्में: सभी प्रकार की पी.आर. एवं बासमती ग्रुप की किस्में।

‌‌‌विधि: सबसे पहले धान की पौध तैयार करना।

धान की पौध तैयार करना: ‌‌‌खेत के जिस भाग में धान की पौध तैयार करनी है उस भू-खण्ड में 10 किलोग्राम घन-जीवामृत को 1000 वर्ग फुट भूमि के हिसाब से छिड़काव करके मिट्टी में मिला दें। इसके बाद अंकुरण योग्य बीजों को बीजामृत से उपचारित करके उस भू-खण्ड में बीजाई कर दें। बीजाई के बाद पौधों में निम्नलिखित समय उपरान्त छिड़काव करें:

‌‌‌क्रम

‌‌‌समय

‌‌‌मात्रा (प्रति एकड़)

1

‌‌‌बीज अंकुरित होने के 7 दिन बाद

‌‌‌10 लीटर पानी + 200 मि.ली. कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

2

पहले छिड़काव के 7 दिन बाद

‌‌‌10 लीटर पानी + 500 मि.ली. कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

3

‌‌‌पौधे‌‌‌ उखाड़ने या रोपाई के 5-7 दिन पहले

‌‌‌10 लीटर पानी + 200 मि.ली खट्टी लस्सी (3 दिन पुरानी)

‌‌‌‌‌‌विशेष: जीवामृत छिड़कते समय भूमि पर भी पड़ने दें।

‌‌‌खेत की तैयारी: पूर्व फसल की कटाई के बाद ‌‌‌उसके अवशेष जमा कर कोने में रखें। भूमि की अच्छी प्रकार जुताई करके कड़ी धूप में सूखने दें।

आखिरी जुताई के पहले प्रति एकड़ 200 किलोग्राम घन-जीवामृत समान रूप से छिड़क कर अंतिम जुताई से मिट्टी में मिला दें।

वर्षा जल या सिंचाई के पानी आने के बाद ‌‌‌प्रति एकड़ 200 लीटर जीवामृत खड़े पानी में डाल दें।

‌‌‌इसके बाद में अच्छी प्रकार पडलिंग/पटेला/कादों करें।

पौधशाला से पौधे उखाड़ कर ‌‌‌उनकी जड़ों को बीजामृत में डुबोकर रोपाई करें।

‌‌‌पौधा-रोपण के बाद हर महीने ‌‌‌इस प्रकार खड़े पानी में जीवामृत डालते रहें।

‌‌‌छिड़काव की समय सारणी:

‌‌‌क्रम

‌‌‌समय

‌‌‌मात्रा (प्रति एकड़)

1

‌‌‌बीज बुआई/रोपाई के 1 माह बाद

‌‌‌100 लीटर पानी + 5 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

2

पहले छिड़काव के 21 दिन बाद

‌‌‌150 लीटर पानी + 10 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

3

दूसरे छिड़काव के 21 दिन बाद

‌‌‌200 लीटर पानी + 20 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत

4

‌‌‌जब धान के दाने दुग्धावस्था में हों

‌‌‌200 लीटर पानी + 5 लीटर खट्टी लस्सी (3 दिन पुरानी)

जीवामृत छिड़कने से बीमारियाँ नियन्त्रित हो जाएगी। पत्तों पर कीट दिखते हैं तो ‌‌‌शुन्य लागत प्राकृतिक खेती के अंर्तगत निर्मित कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

‌‌‌समय-समय पर खरपतवार निकालते रहें। द्वि-पत्री खरपतवार पानी में अपने-आप मर/सड़ जाते हैं, लेकिन एक-पत्री खरपतवार को हाथों से निकालना पड़ता है। ‌‌‌मुख्य फसल के पौधों के बीच यदि अन्य गुणधर्मों के पौधे हैं तो उन्हें उखाड़ कर खेत से हटा दें।

‌‌‌धान के बाद अगली फसल की तैयारी: यदि धान के बाद चना लेते हैं तो धान की कटाई के 15 दिन पहले, चना/मसूर/मटर के बीज ‌‌‌बीजामृत से संस्कार कर खड़ी फसल वाली खेत में बीज प्रसारण विधि से धान की फसल के बीच में छिड़काव कर दें। । उपलब्द्ध नमी से बीज अंकुरित हो जाते हैं। अगर बीज खड़ी फसल के ऊपर फसते है तो हवा आने पर नीचे गिर जाते हैं। धान काटते समय पाँव से चना/मसूर के पौधे दबते हैं, लेकिन पुन: खड़े हो जाते हैं। धान की कटाई के ठीक बाद एवं गट्ठे हटाने के बाद प्रति ‌‌‌एकड़ 200 लीटर पानी + 10 लीटर जीवामृत का छिड़काव चना/मसूर/मटर की फसल के साथ-साथ भूमि पर भी करें। अगर सिंचाई है तो महीने में एक बार 200 लीटर जीवामृत डालें। धान के लिए सारणी में बताए गए 4 छिड़काव भी करें।

 

 ß (विषय-सूचि पर जाएं)

गेहूँ की खेती; धान की खेती; सब्जियों की खेती; कपास ‌‌‌एवं ‌‌‌सब्जियों की खेती; गन्ने की खेती; आलू एवं सरसों की ‌‌‌खेती; अरहर, हल्दी ‌‌‌एवं मिर्च की खेती; पंचस्तरीय बागवानी; जीवामृत; घनजीवामृत; बीजामृत; सप्त-धान्यांकुर; नीमास्त्र; अग्नि-अस्त्र; ब्रह्मास्त्र; दशपर्णी अर्क; फफूंदनाशक (फंगीसाइड); आच्छादन; ‌‌‌जीवनद्रव्य, ह्यूमस; वाफसा और वृक्षाकार प्रबन्धन; सूक्ष्म पर्यावरण; पद्मश्री सुभाष पालेकर जी; अन्तिम पृष्ठ

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