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सिफारिशें - ज़हर-मुक्त खेती - कपास एवं सब्जियों की खेती
कपास के बीज की किस्में: सभी देशी या संकर किस्में।
कपास लगाने से पहले की तैयारी: प्रति एकड़ 400 किलोग्राम घन-जीवामृत छिड़क कर अन्तिम जुताई से मिट्टी में मिला दें। अंकुरित खरपतवार को मिट्टी में मिला दें। 3 फुट के अन्तराल पर इस प्रकार नालियाँ निकालें कि नाली के ऊपर की चौड़ाई 1.5 फुट एवं गद्दी की चौड़ाई 1.5 फुट एवं गहराई 6 ईंच हो। नालियाँ ढलाई के विरूद्ध दिशा में बनाएं।
बुवाई की विधि: कपास एवं मूँग के दो-दो बीज मिलाकर (बीजामृत से उपचारित) तीन-तीन फुट की दूरी पर, जहाँ गोल (O) चिन्ह है वहाँ डालें। कपास के अंकुर बाहर आने पर मूँग के पौधों को उखाड़े नही बल्कि ऊपर से तोड़ दें।
सह-फसलें: सब्जियों के पौधे पौधशाला से निकाल कर एवं जड़े जीवामृत में डुबोकर दो गोल चिन्हों के बीच में लगाएं। उसी समय दो गोल चिन्हों के बीच तारांकित चिन्ह पर दो दाने मक्का एवं दो दाने लोबिया (बीजामृत से उपचारित) लगाएं। जहाँ त्रिकोण बिन्दु है वहाँ बीजामृत से उपचारित गेन्दा के पौधे लगाएं। उसी समय नाली के दोनों किनारों पर गाजर, मूली, बीट, शलगम, पालक, मेथी, धनिया, हरी सब्जियाँ आदि बीजामृत से उपचारित करके लगाएं।
प्रबन्धन: सिंचाई के समय प्रति कड़ 200 लीटर जीवामृत पानी के साथ दें, माह में 1 या 2 बार। बीज बुआई/ रोपाई के 1 महीने तक गद्दी पर और नाली में अंकुरित हुए खरपतवार को नियन्त्रित करना है एवं 1 महीने के बाद पूरी गद्दी आच्छादन से ढक दें। इसके बाद छिड़काव की समय सारणी (कपास एवं सब्जियाँ) इस प्रकार रखें:
क्रम |
समय |
मात्रा (प्रति एकड़) |
1 |
बीज बुआई/रोपाई के 1 माह बाद |
100 लीटर पानी + 5 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत |
2 |
पहले छिड़काव के 10 दिन बाद |
100 लीटर नीमास्त्र अथवा 100लीटर पानी + 3 लीटर दशपर्णी अर्क |
3 |
दूसरे छिड़काव के 10 दिन बाद |
100 लीटर पानी + 2.5 लीटर खट्टी लस्सी (3 दिन पुरानी) |
4 |
तीसरे छिड़काव के 10 दिन बाद |
150 लीटर पानी +10 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत |
5 |
चौथे छिड़काव के 10 दिन बाद |
150 लीटर पानी + 5 लीटर ब्रह्मास्त्र अथवा 150 लीटर पानी + 5-6 लीटर दशपर्णी अर्क |
6 |
पाँचवे छिड़काव के 10 दिन बाद |
150 लीटर पानी + 4.5 लीटर खट्टी लस्सी (3 दिन पुरानी) |
7 |
छटे छिड़काव के 10 दिन बाद |
200 लीटर पानी + 20 लीटर कपड़े से छाना हुआ जीवामृत |
8 |
सातवें छिड़काव के 10 दिन बाद |
200 लीटर पानी + 6 लीटर अग्नि-अस्त्र अथवा 200 लीटर पानी + 6-8 लीटर दशपर्णी अर्क |
9 |
आठवें छिड़काव के 10 दिन बाद |
200 लीटर पानी + 6 लीटर खट्टी लस्सी (3 दिन पुरानी) |
10 |
जब फल/फल्लियाँ कुल आकार का 50% होगी तब |
200 लीटर सप्तधान्यांकुर अर्क अथवा 200 लीटर पानी + 6 लीटर खट्टी लस्सी (3 दिन पुरानी) |
जब आमने-सामने की डालियाँ आपस में हस्तांदोलन करने लगें तो उनके अग्र भाग तोड़ दें और अन्य किस्म के पौधों को निकाल दें।
गेहूँ की खेती; धान की खेती; सब्जियों की खेती; कपास एवं सब्जियों की खेती; गन्ने की खेती; आलू एवं सरसों की खेती; अरहर, हल्दी एवं मिर्च की खेती; पंचस्तरीय बागवानी; जीवामृत; घनजीवामृत; बीजामृत; सप्त-धान्यांकुर; नीमास्त्र; अग्नि-अस्त्र; ब्रह्मास्त्र; दशपर्णी अर्क; फफूंदनाशक (फंगीसाइड); आच्छादन; जीवनद्रव्य, ह्यूमस; वाफसा और वृक्षाकार प्रबन्धन; सूक्ष्म पर्यावरण; पद्मश्री सुभाष पालेकर जी; अन्तिम पृष्ठ
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