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फसल सुरक्षा सूत्र - फफूंदनाशक (फंगीसाइड)
जीरो बजट प्राकृतिक खेती के फसल सुरक्षा सूत्र; नीमास्त्र; अग्नि-अस्त्र; ब्रह्मास्त्र; दशपर्णी अर्क; नीम मलहम; थ्रिप्सरोधी; फफूंदनाशक; सप्त-धान्यांकुर अर्क
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मौजूदा बाजार में उपलब्द्ध रासायानिक फफूंदनाशक मंहगी होने के साथ-साथ खाद्यानों में उनके अवशेष मानवीय उपभोग के लिए घातक भी हैं। जबकि किसान के खेत में उगने वाले पेड़-पौधों का उपयोग कर इन घातक रासायानिक फफूंदनाशकों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसका उपयोग फफूंद को नियन्त्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
1. जीवामृत: जीवामृत में मिलाया जाने वाला देशी गाय का मूत्र फफूंदनाशक का कार्य करता है (Pradhan 2016)। जीवामृत के अन्य घटकों के साथ मिलाए जाने पर देशी गाय का मूत्र फसलों में रोगों के प्रति रोगप्रतिरोधकता बढ़ाने में भी सहायक है। अर्थात फफूंदीनाशक होने के साथ-साथ यह सभी प्रकार के रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता है (Chadha, Saini and Paul 2012)।
फफूंद को नियन्त्रित करने के लिए 20 लीटर जीवामृत को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव किया जाता है।
2. खट्टी लस्सी/छाछ: खट्टी लस्सी में लैक्टिक व एसीटिक एसिड (Gamba et al. 2015) होते हैं जो प्रभावी रूप से फफूंद को नियंत्रित करते है (Bettiol, Silva and Reis 2008)। लस्सी में लैक्टोफेरिन (Ng et al. 2015) तत्त्व होने के कारण विषाणु (वायरस) नाशक भी है।
फफूंद को नियन्त्रित करने के लिए 5 लीटर खट्टी छाछ (3 दिन पुरानी) को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव किया जाता है।
3. उपले/सूखा गोबर: गाय का सूखा गोबर उपलों के रूप में सुखने के उपरान्त फफूंदनाशक के रूप में उपयोग किया जा सकता है (पालेकर 2017)। 5 किलोग्राम जंगल की कण्डी (गाय का सूखा गोबर) का पाउडर बनाकर एक कपड़े की पोटली में बाँधें। उसको रस्सी से 200 लीटर पानी में लटका दें और 48 घण्टे तक रहने दें। इसके बाद पोटली को 2-3 बार पानी में डुबो-डुबो कर अच्छे से निचोड़ें। बाद में इसे लकड़ी के डण्डी से घोल कर कपड़े से छान लें और बनने के बाद 48 घण्टे के अन्दर खड़ी फसल पर छिड़काव करें।
4. सौंठ अर्क/सोंठास्त्र: दूध से तैयार किया सौंठ अर्क फफूंदनाशक है (पालेकर 2017)। एक कटोरे में 2 लीटर पानी लें और उस में 200 ग्राम सोंठ का पाउडर डालें। इसको अच्छे से मिलाकर ढक कर तब तक उबालें तब तक आधा घोल शेष रहे। इसके बाद इसे उतार कर ठण्डा होने दें। दूसरे, एक बर्तन में 2 लीटर दूध लें और ढक कर धीमी आँच पर एक उबाल आने पर उतार कर ठण्डा करें। इसके बाद चम्मच से ऊपर की मलाई हटा दें और इस मलाई का अन्य घरेलु इस्तेमाल करें। 200 लीटर पानी में सोंठ का अर्क एवं मलाई निकाला हुआ दूध मिलाएं और लकड़ी की डण्डी से अच्छे से मिलायें। इसके बाद 48 घण्टे के अन्दर छिड़काव करें।
प्रयोग: कीटनाशी दवाओं के छिड़काव का समय
1. दैनिक फसल निरीक्षण के दौरान जिस दिन फसल के पत्तों पर कीटों के अण्डे या छोटे कीट दिखायी दें तो तुरन्त छिड़काव करें। यदि कीट / अण्डे न हों तो छिड़काव न करें।
2. पत्तों के अग्र भाग या किनारे पर छोटा सा लाल/पीला/काला धब्बा दिखायी दे तो समझ लें कि बीमारी का आक्रमण हो गया है। तुरन्त फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करें। धब्बे ना हों तो छिड़काव न करें।