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आयुर्वेदिक तेल
मल्ल तेल
पर्यायवाची: संखिया का तेल
गुण व उपयोग: मल्ल तेल बहुत उग्र व तत्काल फल दिखाने वाला है। वात वेदना में इस तेल की 10 बूंद को
बृहद् विष्णु तेल
गुण व उपयोग: बृहद् विष्णु तेल लकवा, नसों की कमजोरी, वातरक्त, शुक्र की कमी के कारण आर्इ कमजोरी में यह आशातीत लाभकारी है।...विपरीतमल्ल तेल
गुण व उपयोग: विपरीतमल्ल तेल खुजली, दाद, कुष्ठ के घाव, कटे के घाव, फोड़े, उपदंश के घाव व सभी प्रकार के घावों में इस्तेमाल से...बिल्व तेल
गुण व उपयोग: बिल्व तेल कान में डालने से कान का दर्द, कम सुनार्इ देना, सांय-सांय की आवाज होना आदि में लाभ प्रदान करता है।...व्रणराक्षस तेल
गुण व उपयोग: व्रणराक्षस तेल चर्मरोग, व्रण, नाड़ीव्रण (नासूर), माँस-वृद्धि, विचर्चिका (एक्जिमा), दाद, अपची आदि में लाभ प्रदान करता है।...बाधिर्य नाशक तेल
गुण व उपयोग: कान में मैल जम जाने या कान के छेद किसी कारण बन्द हो जाने या सुनने की शक्ति कम हो जाने या...वासाचन्दनाद्य तेल
गुण व उपयोग: वासाचन्दनाद्य तेल कास, ज्वर, रक्तपित्त, पांडु, हलीमक, कामला, क्षतद्वाय, राजयक्ष्मा व श्वास में लाभकारी है। यह मालिश से बल-वर्ण की वृद्धि कर...ब्राह्मी तेल
गुण व उपयोग: ब्राह्मी तेल सौम्यगुणयुक्त, शीतलतादायक, बुद्धिवर्द्धक व केश वद्धक है। सिर में इस तेल की मालिश करने से दिमागी कमजोरी दूर होती है...ब्राह्मी-आँवला तेल
गुण व उपयोग: ब्राह्मी-आँवला तेल बालों को झड़ने व सफेद होने से रोकता है व बालों में वृद्धि करता है। यह तेल ब्राह्मी व आँवला...प्रसारिणी तेल
गुण व उपयोग: प्रसारिणी तेल नसों में रक्त का संचार बढ़ाता है व शारीरिक अंगों की कमजोरी को दूर करता है। नसों व हड्डियों के...पुनर्नवादि तेल
गुण व उपयोग: पुनर्नवादि तेल की मालिश करने से शोथ, कामला, पांडुरोग, हलीमक, रक्तपित्त, भ्गन्दर, प्लीहा रोग, उदर रोग, जीर्ण ज्वर आदि रोग नष्ट होते...पंचगुण तेल
गुण व उपयोग: पंचगुण तेल सभी प्रकार के दद्र में मालिश से व कान में डालने से एवं जले हुए स्थान पर लगाने से आराम...प्रमेहमिहिर तेल
गुण व उपयोग: इसकी मालिश से वात-विकार व वातज, पित्तज, कफज, सन्निपातज, मेदागत व माँसगत ज्वर नष्ट होते हैं। यह प्रमेह रोगों में भी फायदा...नासार्शोहर तेल
गुण व उपयोग: रूर्इ का फाहा बनाकर इस तेल में डुबोकर नाक में टपकाने से नाक में होने वाले मस्से दूर हो जाते हैं।...निर्गुण्डी तेल
गुण व उपयोग: निर्गुण्डी तेल गण्डमाला, अपची, नाड़ीव्रण आदि रोगों में नस्य लेने व लगाने से लाभ करता है।...दशमूल तेल
गुण व उपयोग: इससे जोड़ों व अस्थिगत और सिर व वात रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है। कान व नाक के दर्द में भी तीन-तीन...नारायण तेल
गुण व उपयोग: यह पक्षाघात, कमर दर्द, कान का दर्द, पसली का दर्द, शरीर के किसी हिस्से का सुखना, लंगड़ापन व सिर दर्द आदि में...तुबरक तेल
पया्रयवाची: चालमोंगरा तेल गुण व उपयोग: यह सब प्रकार के कुष्ठ रोगों के लिए उत्तम औषधी है। कम मात्रा से शुरू कर धीरे-धीरे मात्रा बढ़ानी चाहिए।...जात्यादि तेल
गुण व उपयोग: यह घाव, चेचक, खुजली (सूखी व गीली दोनों तरह की), विसर्प, कटे का घाव, अग्नि से जलने आदि में लाभकारी है।...चन्दन-बला-लाक्षादि तेल
गुण व उपयोग: यह तेल शिरोरोग, नेत्रदाह, शरीर का दाह, क्षय, छर्दि, रक्तप्रदर, रक्तपित्त, कफ रोग, दाह, कंडू, विस्फोटक, सूजन, खाँसी, श्वास, कामला, पांडु आदि...Log in
Featured author
Dr. K.L. Dahiya
Veterinary Surgeon, Department of Animal Husbandry & Dairying, Haryana - India