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गर्भपाल रस

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गुण व उपयोग: गर्भपाल रस गर्भावस्था में होने वाले विकारों की उत्तम औषधी है। गर्भावस्था में होने वाले पांडु, अतिसार, मन्दाग्नि, सिरदर्द, भूख न लगना, चक्कर आना, घबराहट, कमर दर्द, गर्भश्य की कमजोरी, मानसिक चिन्ता, हिस्टीरिया आदि में शीघ्र लाभ प्रदान करता है। दुग्ध दोष, सूजाक, आंतशक के कारण गर्भपात की सम्भावना में मंजिष्ठादि क्वाथ के साथ भोजन के तुरन्त बाद उल्टी आना, चक्कतर आना, कमर दर्द आदि में कामगुधा रस या स्वर्ण माक्षिक भस्म के साथ देने से शीघ्र लाभ मिलता है। इसके सेवन से गर्भ स्थापन में भी मदद मिलती है।

मात्रा व अनुपान: 1 से 2 गोली, दिन में दो बार गुडूची सत्व और शहद या धारोष्ण दूध के साथ अथवा रोगानुसार अनुपान के साथ।

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