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सूतिकाभरण रस (स्वर्ण युक्त)

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गुण व उपयोग: यह रस सभी प्रकार के सूतिका रोग एवं प्रसूत में होने वाले रोगों में सेवन करने से उत्तम लाभ मिलता है। प्रसव के समय साफ-सफार्इ का ध्यान न रखने के कारण कर्इ प्रकार के रोग प्रसूता को हो जाते हैं। योनि स्राव में दुगन्ध आना, गभाशय स्पर्श करने पर वेदना, रक्तयुक्त या श्वेत एवं दुर्गन्ध युकत स्राव होना आदि लक्षण होते हैं। ऐसी अवस्था में इस रसायन के सेवन से श्रेष्ठ लाभ मिलता है।

मात्रा व अनुपान: 125 से 187.5 मिलीग्राम, दिन में दो बार अथवा रोगानुसार।

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