Sections
- प्राकृतिक खेती
- Transformations
- श्रीमद्भगवद्गीता
- योग
- हिन्दी भाग
- पशु पालन
- आयुर्वेद संग्रह
- स्वास्थ्य
- आहार विज्ञान
- कटाई, सिलाई और कढ़ाई (Cutting, Tailoring & Embroidery)
- News
- General
- Quotes
- CAREER TIPS
- The Days
- Festivals
- Herbal Plants
- The Plants
- Livestock
- Health
- Namology
- The Marriage
- Improve Your G.K.
- General Knowledge
- TERMINOLOGY
- Downloads
- Recipes
- World Transforming Personalities
- Geography
- Minerals
- World at a Glance
Poll: Like Our New Look?
Do you like our new look & feel?
आयुर्वेदिक रस
कामलाहर रस
गुण व उपयोग: कामलाहर रस पांडु, कामला, हलीमक, कुम्भकामला, शोथ रोग, मूत्रकृच्छ आदि रोगों में शीघ्र लाभ करता है। इसके उपयोग काल में छाछ और
कालकूट रस
गुण व उपयोग: कालकूट रस अतिउग्र है। यह सन्निपात, ग्रन्थिक, धातुर्वातादि, वात-विकार, बेहोशी, प्रलाप, आँखों की तन्द्रा, श्वास, कफयुक्त खाँसी, कंप, हिचकी वात, कफ की...कामिनीविद्रावण रस
गुण व उपयोग: कामिनीविद्रावण रस उत्तम वीर्य स्तम्भक है। इसमें अफीम का अंश होता है। यह वीर्य को गाढ़ा कर स्तम्भन करता है एवं शुक्रवाहिनी...कालारि रस
गुण व उपयोग: कालारि रस के सेवन से साधारण ज्वर, सन्निपात ज्वर, विषम ज्वर, कास, हिक्का में उत्तम लाभ मिलता है। विषम ज्वर में कुनीन...कामाग्नि सन्दीपन रस
गुण व उपयोग: इस रसायन के सेवन से ओज और बल की पुष्टि तथा काम की वृद्धि होती है और यह रसायन समस्त इन्द्रियों को...कामधेनु रस
गुण व उपयोग: कामधेनु रस बल-वीर्य-वर्द्धक, कामोद्दीपक तथा पौष्टिक है। इसके सेवन से प्रमेह, विशेषकर शुक्रमेह, ध्वजभंग आदि नष्ट होकर शरीर में कामशक्ति अधिक मात्रा...क्रव्याद रस
गुण व उपयोग: क्रव्याद रस प्लीहा, ग्रहणी, रक्तस्राव, अर्श, शूल, विषम ज्वर, वातिक-ग्रन्थि, हैजा, गुल्म, अफारा और अरूचि आदि रोगों में शीघ्र लाभ प्रदान करता...कृमिमुगद्र रस
गुण व उपयोग: कृमिमुगद्र रस कृमिकुठार रस से तीक्ष्य और उग्रवीर्य है। यह पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाला एवं इन कृमियों के कारण...कामदुधा रस (मौक्तिक युक्त)
गुण व उपयोग: इसके सेवन से मूत्र विकार, मुंह आना, रक्तार्श, पित्त विकार, अम्ल पित्त, चक्कर आना, मस्तक शूल, दिमाग की कमजोरी, दाह और जीर्णज्वर,...कृमिकुठार रस
गुण व उपयोग: कृमिकुठार रस का सेवन मुख्यत: पेट के कीड़े नष्ट करने हेतु किया जाता है। कृमियों के कारण ग्लानि, भ्रम, मुख् से लार...कस्तूरीभूषण रस
गुण व उपयोग: कस्तूरीभूषण रस के सेवन से त्रिदोषज कास, श्वास, क्षय, कफ-जन्य रोग, मन्दाग्नि, पित्त्कफाधिकय रोग, उध्र्वजत्रुगत रोग, विषम ज्वर आदि में उत्तम लाभ...कस्तूरीभैरव रस
गुण व उपयोग: कस्तूरीभैरव रस वात ज्वर, कफज्वर और वात-कफ प्रधान ज्वर व सन्निपात ज्वर में विशेष लाभ प्रदान करता है। इसके अलावा जोड़ों व...कल्पतरू रस
गुण व उपयोग: कल्पतरू रस खाने और सूँघने, दोनों में काम आता है। इस रसायन के सेवन से वात-कफ-पित्त अर्थात वायु और कफ से उत्पन्न...कस्तूरीभैरव रस (बृहत्)
गुण व उपयोग: इसके सेवन से सभी प्रकार के सन्निपात ज्वरों में, शीतांग, जलन, पसीना, खाँसी, तन्द्रा, पाश्र्वशूल, नाडत्री क्षीणता, नाड़ी अपना स्थान छोड़ दे,...कल्याणसुन्दर रस
गुण व उपयोग: कल्याणसुन्दर रस से फेफड़े के रोग,, न्यूमोनिया व उर:स्तोय (फुफ्फुसावरण में प्रदाह होहर जल भर जाना), शूल, भ्रम, मूच्र्छा, सूखी खाँसी, श्वास,...कफचिन्तामणि रस
गुण व उपयोग: कफचिन्तामणि रस के सेवन से वात और कफ के रोग नष्ट होते हैं। कफ की विशेषता होने पर अन्य औषधियों की अपेक्षा...कनकसुंदर रस
गुण व उपयोग: कनकसुंदर रस के सेवन से अतिसार, संग्रहणी और अतिसार, अग्निमांद्य, बच्चों के दाँत निकलने के समय लगने वाले दस्त में उत्तम लाभ...कफकुठार रस
गुण व उपयोग: कफकुठार रस खाँसी, सांस लेने में कठिनार्इ, छाती में दर्द, छाती में कफ का जमना, कफ ज्वर आदि में उत्तम लाभ करता...कफसेतु रस
गुण व उपयोग: कफकेतु रस के सेवन से कफजन्य बुखार, खाँसी, जुकाम, कफ के विकारों में सिरदर्द और कण्ठ में कफ जमा होने में यह...कर्पूर रस (कर्पूरादि बटी)
गुण व उपयोग: इसके सेवन से अरूचि, खट्टी डकारें आना, मुँह में जलन, कमजोरी, आँखों के सामने अन्धेरा सा छा जाना, पेट में दर्द, जोड़ों...Log in
Featured author
Dr. K.L. Dahiya
Veterinary Surgeon, Department of Animal Husbandry & Dairying, Haryana - India