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महातिक्त घृत

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गुण व अनुपान: - इसके सेवन से कुष्ठ, रक्तपित्त, खूनी बवासीर, विसर्प, अम्लपित्त, वातरक्त, पांडु रोग, विस्फोट, यक्ष्मा, उन्माद, कामला, पामा, कण्डु, जीर्ण ज्वर, रक्तप्रदर आदि रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है। चर्म रोगों में इसका इस्तेमाल विशेष रूप से किया जाता है।

मात्रा व अनुपान: - 6 से 10 ग्राम, गर्म पानी के साथ, दिन में दो बार।

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