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हरीतकी चूर्ण
गुण व उपयोग – हरीतकी को हरड़ भी कहते हैं। इसमें मधुर, तिक्त और कषाय रस होता है। हरीतकी चूर्ण के सेवन से वातिक पांडु में विशेष लाभ होता है। हरीतकी का सेवन नमक के साथ करने से कफ व शहद के साथ सेवन करने से अम्लपित्त में बहुत लाभ मिलता है। यह भूखवद्र्धक, मुंह के छाले नाशक, कब्ज नाशक है।
मात्रा व अनुपान – इसके गुणों का लाभ लेने के लिए विभिन्न ऋतुओं में इसका सेवन इस प्रकार करना चाहिए:
वर्षा ऋतु में सेंधा नमक के साथ।
शरद ऋतु में शकर के साथ।
हेमंत ऋतु में सोंठ के साथ।
शिशिर ऋतु में पीपल के साथ।
वसंत ऋतु में शहद के साथ।
ग्रीष्म ऋतु में गुड़ के साथ।
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