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हजरूलयहूद भस्म

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‌‌‌घटक: शुद्ध हजरूला को मूली सत्व में मिलाया जाता है।

गुण व उपयोग: हजरूलयहूद सुधा ;चूना और सिकता का यौगिक ;सिलीकेट आफ लाईम है। यह अरबिस्तान से भारत में आया। यूनानी वैद्य इसका औषधियों के रूप में उपयोग करते हैं। इसकी भस्म अश्मरी नाशक एवं मूत्रल है। इस भस्म के सेवन से दोटी पत्थरी गलकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है। मूत्रावरोध में इसके प्रयोग से पेशाब साफ आता है।

मात्रा व अनुपान: ‌‌‌व्यस्कों को 250 - 500 मिलीग्राम, दिन में तीन बार कच्चे नारीयल के पानी या पुनर्नवारिष्ट के साथ देना चाहिए। यूनानी चिकित्सक शर्बत बजूरी के साथ देते हैं। अश्मरी में सुबह-शाम रौक्षुरादि गुग्गुलु दो गोली के साथ चन्दनासव 24 मिलीग्राम या चन्द्रप्रभा बटी 1-1 अथवा पथरीना टेबलेट के साथ लेने से विशेष लाभ होता है तथा दिन में तीन बार हजरूलयहूद भस्म  250 से 500 मिलीग्राम सेवन करने से विशेष लाभ मिलता है।

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