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आयुर्वेदिक भस्म
हजरूलयहूद भस्म
घटक: शुद्ध हजरूला को मूली सत्व में मिलाया जाता है।
गुण व उपयोग: हजरूलयहूद सुधा ;चूना और सिकता का यौगिक ;सिलीकेट आफ लाईम है। यह अरबिस्तान
हरताल भस्म
गुण व उपयोग: हरताल भस्म स्निग्ध, उष्ण, कटु एवं अग्नि-दीपन है। वातरक्त, कुष्ठ, उपदंश, चर्म रोग, उध्र्वश्वास, विषज्वर, शीतांग, कफ-वात प्रधान भंयकर सन्निपात, वात रोग,...रौप्य माक्षिक भस्म
गुण व उपयोग: इस भस्म में रौप्य का कुछ भाग मौजूद रहता है। इस कारण रौप्य भस्म के अभाव में रौप्य माक्षिक भस्म का प्रयोग...स्वर्ण माक्षिक भस्म
गुण व उपयोग: स्वर्ण माक्षिक भस्म के सेवन से पांडु, नेत्र रोग, प्रदर, मूत्रकृच्छ, वमन, उबकार्इ, पित्त विकार, प्रमेह, विष विकार, अर्श, अम्लपित्त, रक्तपित्त् व्रणदोष,...स्वर्ण भस्म
गुण व उपयोग: स्वर्ण भस्म के सेवन से मद, उन्माद, शुक्रप्रमेह, नपुंसकता, स्नायुदौर्बल्य, उर:क्षत, जीर्ण विकारों, धातुक्षीणता, जीर्ण ज्वर, मन्द ज्वर, बराबर आनेवाला ज्वर, विषविकार,...श्रृंग भस्म
गुण व उपयोग: श्रृंग भस्म कास, श्वास, पाश्र्व शूल, न्यूमोनिया, ब्रोंकाइटिस, इन्फलूएन्जा, जीर्ण ज्वर, राजयक्ष्मा की प्रथमावस्था, हृदय शूल, सर्दी, जुकाम, बच्चों का सूखा रोग...संगजराहत भस्म या पिष्टी
गुण व उपयोग: यह सभी प्रकार के रक्तस्राव में उत्तम लाभ करती है। इसके सेवन से रक्त वमन, मूत्ररक्त, रक्तार्श, नासागत-रक्तपित्त, असृग्दर व रक्त प्रवाहिका,...संगयहूद भस्म (हजरूल्यहूद)
गुण व उपयोग: यह अश्मरी नाशक व मूत्रल है। मूत्र रूकावट को दूर करती है। सामान्य आकार की पत्थरी इसके कुछ लगातार सेवन से पेशाब...शंख भस्म
गुण व उपयोग: शंख भस्म संग्रहणी, नेत्र का फूला, पंट की पीड़ा, युवावस्था में मुँह पर छोटी-छोटी फुंसियां निकलती हैं, उनको तारूण्य पीटिका या युवान...संगेयशव भस्म (या पिष्टी)
गुण व उपयोग: यह हृदय रोगों में उत्तम लाभ करती है। इसके अलावा शुक्र का दुर्बलता, शुक्र पतला होकर पेशाब के साथ आना, वातवाहिनी नाड़ी...स्फटिका भस्म (फिटकरी)
गुण व उपयोग: स्फटिका भस्म रक्त शोधक है। सूजाक, राजयक्ष्मा, रक्तप्रदर, पुरानी खाँसी, न्यूमोनिया, खँसी, पाश्र्वशूल, रक्त वमन, विष विकार, मूत्रकृच्छ, त्रिदोष, प्रमेह, कोढ़, व्रण...लौह भस्म
लौह भस्म शतपुटी - लौह भस्म को त्रिफला क्वाथ से भावना देते हुए 100 बार गजपुट में फूंकने से लौह भस्म शतपुटी तैयार हो जाती...रौप्य भस्म (चाँदी भस्म)
गुण व उपयोग: रौप्य भस्म वय:स्थापक तथा बलवर्द्धक है। रौप्य भस्म विपाक में मधुर, कषाय व अम्ल रसात्मक, शीतल, सारक, लेखन, रूचिप्रद और स्निग्ध होती...मौक्तिक शुक्ति (मोती सीप)
गुण व उपयोग: इसके सेवन से क्षय, श्वास, खाँसी, जीर्णज्वर, नेत्रदाह, हृदय रोग, पित्तप्रधान अरूचि, पित्तज परिणामशूल, यकृत्, वमन, पित्तातिसार, अम्लपित्त, रक्त व श्वेतप्रदर, आमाशय,...माणिक्य भस्म
गुण व उपयोग: माणिक्य भस्म या पिष्टी नपुंसकता, धातु-क्षीणता, हृदय रोग, वात-पित्त-विकार और क्षय रोग दूर कर शरीर की धातुओं को पुष्ट बनाती है तथा...मोती भस्म
गुण व उपयोग: मोती भस्म राजयक्ष्मा, खाँसी, श्वास, कफ, नेत्र रोग, शुक्राणुक्षीणता, दुर्बलता, मन्दाग्नि आदि रोगों में उचित अनुपान के साथ सेवन करने से उत्तम...मधु-मण्डूर भस्म
गुण व उपयोग: मधु-मण्डूर भस्म में अधिक पुट लगने के कारण मण्डूर भस्म की अपेक्षा यह विशेष गुणकारी होती है। अत: जहां मण्डूर भस्म देने...मण्डूर भस्म
गुण व उपयोग: मण्डूर भस्म पांडु रोग, मन्दाग्नि, कामला, बवासीर, शरीर की सूजन, रक्तविकार, उदर रोग आदि रोगों में लाभ प्रदान करती है। इसकी भस्म...मल्ल (संखिया) भस्म
गुण व उपयोग: संखिया एक प्रकार का भंयकर व प्राणघातक खनिज विष है। यह रंग भेद से चार प्रकार - सफेद, काला, लाल व पीला...मयूर भस्म
गुण व उपयोग: मयूर भस्म हिचकी एवं वमन में लाभकारी है। इस भस्म का सेवन करने से हिचकी में इसके साथ जहरमोहरा खतार्इ पिष्टी या...Log in
Featured author
Dr. K.L. Dahiya
Veterinary Surgeon, Department of Animal Husbandry & Dairying, Haryana - India