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अरहर, Pigeon Pea, Cajanus cajan, Cajanus indicus

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व्यवहारिक नाम:

अंग्रेजी: पीजन पी (Pigeon Pea)।

असमी: रोहोर।

कन्नड़: तोगड़ी।

गुजराती: तूर, तूवर।

तमिल: तुवरम परुप्पू।

तेलगू: कादुल।

तेलुगु: कांडी।

नेपाली: रहर।

पंजाबी: तूर, तूवर।

बंगाली: अड़हर

बंगाली: अरहर।

मराठी: तुरी।

मराठी: तूर, तूवर।

मलयालम: तूवर परुप्पू।

लैटिन: कैजेनस इंडिकस (Cajanus indicus), कैजेनस ‌‌‌कजान (Cajanus cajan)।

संस्कृत: आढकी, तुवरी, शणपुष्पिका।

हिंदी: अरहर, तुवर।

स्वाद: इसकी दाल खाने में फीकी तथा स्वादिष्ट होती है।

‌‌‌पौधे का स्वरूप: इसका रंग पीला और लाल होता है। अरहर दो प्रकार की होती है पहली लाल और दूसरी सफेद। वासद अरहर की दाल बहुत मशहूर है। सुस्ती अरहर की दाल व कनपुरिया दाल एवं देशी दाल भी उत्तम मानी जाती है। दाल के रूप में उपयोग में लिए जाने वाली सभी दलहनों में अरहर का प्रमुख स्थान है।

‌‌‌विशेष: यह गर्म और रूक्ष होती है। जिन्हें इसकी प्रकृति के कारण हानि हो वे लोग इसकी दाल को घी में छोंककर खायें, फिर किसी प्रकार की हानि नहीं होगी। अरहर के दानों को उबालकर पर्याप्त पानी में छौंककर स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है। अरहर की हरी-हरी फलियों में से दाने निकालकर उसका सब्जी भी बनायी जाती है। बैंगन की सब्जी में अरहर की हरी फलियों के दाने मिलाने से अत्यंत स्वादिष्ट सब्जी बनती है। अरहर की दाल में इमली अथवा आम की खटाई तथा गर्म मसाले डालने से यह अधिक रुचिकारक बनती है। अरहर की दाल में पर्याप्त मात्रा में घी मिलाकर खाने से वह वायुकारक नहीं रहती।

अरहर के पौधे की सुकोमल डंडियां, पत्ते आदि दूध देने वाले पशुओं को विशेष रूप से खिलाए जाते हैं। इससे वे अधिक तरोताजा बनते हैं और अधिक दूध देते हैं।

स्वभाव: अरहर की प्रकृति गर्म और खुश्क होती है।

‌‌‌औषधीय गुण: यह कषैली, रूक्ष, मधुर, शीतल, पचने में हल्की, मल को न रोकने वाली, वायुउत्पादक, शरीर के अंगों को सुंदर बनाने वाली एवं कफ और रक्त सम्बंधी विकारों को दूर करने वाली है। लाल अरहर की दाल, हल्की, तीखी तथा गर्म होती है। यह अग्नि को प्रदीप्त करने वाली (भूख को बढ़ाने वाली) और कफ, विष, खून की खराबी, खुजली, कोढ़ (सफेद दाग) तथा जठर (भोजन पचाने का भाग) के अंदर मौजूद हानिकारक कीड़ों को दूर करने वाली है। अरहर की दाल पाचक है तथा बवासीर, बुखार और गुल्म रोगों में भी यह दाल लाभकारी है।

इसकी दाल त्रिदोषनाशक (वात, कफ और पित्त) होने से सभी के लिए अनुकूल रहती है। 

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