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पंत्रांगासव

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गुण व उपयोग: - यह रक्त प्रदर, श्वास प्रदर, कमजोरी, दुष्टार्वत, दर्द के साथ रज निकलना, ज्वर, पांडु सूजन, गर्भाश्य के अवयवों की शिथिलता, अरूचि, अग्निमांद्य आदि रोगों में ‌‌‌शीघ्र लाभ प्रदान करता है। इसके सेवन से गर्भाश्य को ताकत मिलती है।

मात्रा व अनुपान: - 10 से 20 मिलीलीटर, भोजन के बाद, बराबर पानी के साथ, दिन में दो बार।

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