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आसव-अरिष्ट
पर्पटाद्यरिष्ट
गुण व उपयोग: - यह अष्ठीला, कामला, हलीमक, पांडु रोग, गुल्म, उदर रोग, प्लीहा-वृद्धि, यकृत वृद्धि, शोथ एवं विशज्वरों में शीघ्र लाभ करता है। यह
पुनर्नवारिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से पांडु, हृदय रोग, सूजन, भगन्दर, अर्श उदर रोग, खांसी, श्वास, संग्रहणी, अरूचि, प्रमेह, शाखागत वायु, खुजली, प्लीहा, भ्रम,...नारिकेलासव
गुण व उपयोग: - यह पौष्टिक, बल-वीर्य बढ़ाने वाला एवं बाजीकरण है। इसके सेवन से कामशक्ति की वृद्धि होती है। मात्रा व अनुपान: - 10 से...धात्र् अरिष्ट
गुण व उपयोग: - यह पांडु, कामला, हिचकी, अरूचि, हृदय रोग, वातरक्त, विषज्वर एवं श्वास रोग आदि में लाभदायक है। मात्रा व अनुपान: - 10 से...धान्यपंचकारिष्ट
गुण व उपयोग: - यह दीपन, पाचन है। इसके सेवन से अतिसार, प्रवाहिका और संग्रहणी रोग में शीघ्र लाभ मिलता है। मात्रा व अनुपान: - 10...द्राक्षासव (दूसरा योग)
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से ग्रहणी, रक्तदोष, कुष्ठ, काली खांसी, बवासीर और गले के रोग, मस्तिष्क रोग, क्षय, दमा, खांसी, नेत्र रोग, कामला,...द्राक्षारिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से शरीर को बल मिलता है। यह खांसी, सर्दी, जुकाम, कब्ज, क्षय, कमजोरी, बवासीर, फेफड़ों की कमजोरी, रक्त प्रदर,...दन्ती अरिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से बवासीर, ग्रहणी, पांडु, अरूचि आदि रोग नष्ट होते हैं। इसके अतिरिक्त यह मल व वायु का अनुलोमन करता...देवदार्वाद्यरिष्ट
गुण व उपयोग: - यह प्रमेह, गर्भाश्य दोष, वात रोग, ग्रहणी, अर्श, मूत्रकृच्छ, उपदंश, दद्रु कुष्ठ आदि रोगों में लाभदायक है। यह रक्त को साफ...दशमूलारिष्ट
गुण व उपयोग: - यह धातुक्षय, खांसी, अरूचि, पांडु, सब प्रकार की वात व्याधियाँ, शूल, श्वास, वमन, प्रसूतारोग, गर्भाश्य की अशुद्धि, अग्निमांद्य, कामला, प्रदर, कुष्ठ,...तक्रारिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से शोथ, गुल्म, अर्श, कृमि, प्रमेह, ग्रहणी, अतिसार एवं उदर रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है। यह उत्तम दीपन-पाचन...त्रिफलारिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से हृदय रोग, अरूचि, प्रमेह, पांडु, शोथ, प्लीहा वृद्धि, चक्कर आना, कुष्ठ, कण्डू, शाखागत वात, बद्धकोष्ठ, हिचकी, किलास और...जम्बीरद्राव
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से यकृत, गुल्म, दस्त, दर्द, पार्श्वशूल, हृदय रोग, प्लीहा, विद्रधि, अष्ठीला, वायुगोला, नाभिशूल, कब्ज, अफारा, गुदविकार (अर्श), उदररोग और...जीरकाद्यरिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से संग्रहणी, मन्दाग्नि, अतिसार, सूतिका, अफारा आदि रोगों में लाभ मिलता है यह गर्भाश्य की शुद्धि करने वाला है। मात्रा...चित्तचन्दिरासव
गुण व उपयोग: - यह सौम्यगुण युक्त, दीपन, पाचन, कब्जनाशक और श्रेष्ठ बलकारक है। इसके लाभ द्राक्षासव व द्राक्षारिष्ट के समान ही हैं। मात्रा व अनुपान:...चन्दनासव
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से पेशाब में धातु आना, स्वप्नदोष, कमजोरी, पेशाब की जलन, पेशाब में मवाद आना, श्वेतप्रदर, प्रमेह, उपदंष के विकार,...चव्यकारिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से गुल्म, प्रमेह, जुकाम, क्षय खांसी, अष्ठीला, वातरक्त, उदर विकार तथा आन्त्र-वृद्धि, कामला, यकृत विकार, अफारा, अण्डवृद्धि और अग्निमांद्य...खदिरारिष्ट
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से सभी प्रकार के चर्म रोगों में लाभ मिलता है। इसका उपयोग लाल और काले कोढ़ के चकते, रक्तविकारजन्य...कुमार्यासव न. 4
गुण व उपयोग: - इसका सेवन करने से उदर रोग, गुल्म, जलोदर, कृमिरोग, पांडु, अशक्ति, शुक्रदोष, उदावर्त, अफारा, पार्श्वशूल, कफ दोष, मन्दाग्नि, खांसी, “वास, हिचकी,...कुमार्यासव न. 3
गुण व उपयोग: - इसके सेवन से खांसी, श्वास, क्षय, उदर रोग, बवासीर, वाव्याधि, अपस्मार, अग्निमांद्य, कोष्ठशूल, गुल्म तथा स्त्रियों के मासिक धर्म न होना...Log in
Featured author
Dr. K.L. Dahiya
Veterinary Surgeon, Department of Animal Husbandry & Dairying, Haryana - India