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ताम्र सिन्दूर

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गुण व उपयोग: ताम्र सिन्दूर यकृत-प्लीहा, अम्लपित्त, अपस्मार, मन्दाग्नि रोग, परिणामशूल, रक्त-विकतिजन्य, हैजे की अन्तिम अवस्था व हिक्का रोगों में उचित अनुपान भेद के साथ ताम्र सिन्दूर उत्तम लाभ प्रदान करता है। आंतों के क्षय में भी यह लाभ प्रदान करता है। आमाशय को यह बल प्रदान करता है व विसुचिका की सभी अवस्थाओं में लाभकारी है।

मात्रा व अनुपान: 62.5 से 125 मिलीग्राम, शहद, पान या तुलसी के पत्तों के रस के साथ सुबह-शाम।

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