Home | आयुर्वेद संग्रह | ‌‌‌कुपीपक्व रसायन

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‌‌‌कुपीपक्व रसायन

शिला सिन्दूर

गुण व उपयोग: शिला सिन्दूर के लगातार सेवन से कुष्ठ या खून में खराबी के कारण उत्पन्न चर्म रोगों में उत्तम लाभ मिलता है। जाड़ा
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पूर्ण चन्द्रोदय रस

गुण व उपयोग: यह काम-शक्ति को बढ़ाने में एवं स्तम्भन के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त दिमाग की कमजोरी, खाँसी, श्वास, वात रोग, कफ रोग,...
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रजत सिन्दूर

गुण व उपयोग: रजत सिन्दूर हृदय व दिमाग की कमजोरी, मेधा एवं स्मरण शक्ति की कमी, स्नायुदौर्बल्य, पांडु, कामला, वायु तथा पित्त् के विकार, उदरवात...
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ताम्र सिन्दूर

गुण व उपयोग: ताम्र सिन्दूर यकृत-प्लीहा, अम्लपित्त, अपस्मार, मन्दाग्नि रोग, परिणामशूल, रक्त-विकतिजन्य, हैजे की अन्तिम अवस्था व हिक्का रोगों में उचित अनुपान भेद के साथ...
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ताल सिन्दूर

गुण व उपयोग: ताल सिन्दूर रक्तशोधक, जन्तुघ्न, कफ और कुष्ठ नाशक है। आतशक व उसके उपद्रव वातरक्त, मलेरिया, चर्मरोगों, जलोदर आदि रोगों में उचित अनुपान...
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मल्लसिन्दूर

गुण व उपयोग: मल्लसिन्दूर वात व कफ के विकारों में उत्तम लाभ करता है। पक्षाघात, आमवात, धनुष्टंकार आदि वात रोगों में कफ संबंधी कास, स्त्रियों...
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पंचसूत रस

गुण व उपयोग: पंचसूत रस का मुख्य प्रभाव कफ संस्थान पर होता है। यह रस श्वास-कास, आमांश जन्य शूल, दुष्ट एवं कठिन वातरोग, फुफ्फुसावरण शोथ,...
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रससिन्दूर (षड्गुण बलिजारित)

यह उष्णवीर्य तथा रसायन है। कफजन्य विकार, न्यूमोनिया, उर:स्तोय, संग्रहणी, पांडु, सन्निपात, फुफ्फुस के विकार, कफजन्य कास में उचित मिश्रण के साथ देने से उत्तम...
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चन्द्रोदय (बहिर्धूम)

गुण व उपयोग: इसके गुण चन्द्रोदय (अन्तर्धूम) के गुणों से कुछ कम ही हैं। इससे दिल और दिमाग को ताकत मिलती है। नाड़ी की गति...
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चन्द्रोदय (अन्तर्धूम)

गुण व उपयोग: इससे दिल और दिमाग को ताकत मिलती है। नाड़ी की गति क्षीण होने पर इससे तुरन्त लाभ होता है। अनुपान भेद से...
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पूर्ण चन्द्रोदय (सुवर्ण घटित)

गुण व उपयोग: यह औषधी शरीर की सभी कलाओं में सर्वदा नवीनता का संचार करती है, जिससे शरीर के सभी अंग सक्रिय और स्वस्थ रहते...
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स्वर्ण मकरध्वज

गुण व उपयोग: बुढ़ापा रोकने की उत्तम औषधी है, 40 वर्ष के बाद की शारीरिक और मानसिक क्षति पूर्ति और यवावस्था कायम रखने के लिए...
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सिद्ध मकरघ्वज

गुण व उपयोग: सिद्ध मकरघ्वज के सेवन से रस-रक्तादि सप्त धातुओं की वृद्धि होती है व प्रमेह, मधुमेह, धातुदौर्बल्य, शुक्र की क्षीणता, वीर्य का पतलापन,...
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सिद्धमकरध्वज-स्पेशल (स्वर्ण-मुक्ता-कस्तूरीयुक्त)

गुण व उपयोग: अष्टांग संस्कारित एवं षड्गुणबलिजारित पारद से निर्मित मकरध्वज, स्वर्णभस्म, कस्तूरी और मोती भस्म आदि से निर्मित सिद्धमकरध्वज- स्पेशल आयुर्वेद जगत् की परमोत्कृष्ठ...
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सुवर्ण समीर पन्नग रस

गुण व उपयोग: सुवर्ण समीर पन्नग रस कठिन वात विकारों व पक्षाघात की उत्तम औषधी है। यह सब प्रकार के वात रोगों में जैसे कटिस्तम्भ,...
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समीरपन्नग रस

गुण व उपयोग: समीरपन्नग रस के सेवन से सन्निपात में नाड़ी की गति क्षीण हो जाने पर लाभ मिलता है। यह स्नायु मंडल को बलवान...
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व्याधिहरण रसायन

गुण व उपयोग: व्यादिहरण रसायन का सेवन उपदंश, नाखून सड़ना, निद्रानाश, वृक्कतशोथ, रक्त-विकार, सन्धिवात, गठिया, पांडु, नेत्र-विकार, कुष्ठ, नासा व मुखव्रण, अस्थिगतव्रण, बालों का असमय...
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स्वर्ण सिन्दूर

गुण व उपयोग: स्वर्ण सिन्दूर का अनेक रोगों में सेवन करने से लाभ मिलता है। यह धातु, मेधा, कान्ति, अग्नि, बल, आयु व काम-शक्ति की...
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माणिक्य रस

गुण व उपयोग: माणिक्य रस राजयक्ष्मा, श्वास, कास, शुक्रविकारादि, खाँसी रोगों में लाभ कर शरीर में बल-वृद्धि कर शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाता है। नियमित रूप...
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स्वर्णबंग (सुवर्णराजवंगेश्वर)

गुण व उपयोग: स्वर्णबंग का विशेष प्रभाव शुक्रस्थान, मूत्रपिण्ड व वीर्य वाहिनीयों पर होता है।अत: यह प्रमेह, नामर्दी, शीघ्रपतन, शुक्रस्राव आदि मूत्र व वीर्य-विकारों को...
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Featured author
Dr. K.L. Dahiya Veterinary Surgeon, Department of Animal Husbandry & Dairying, Haryana - India