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फ्लोरीन की अधिकता के प्रभाव, Effects of Excess intake of Fluorine
फ्लोरीन, Fluorine, ट्रेस तत्व, Trace Element; फ्लोरीन के कार्य (Functions of Fluorine); फ्लोरीन हीनता के प्रभाव (Effects of Deficiency of Fluorine); फ्लोरीन की अधिकता के प्रभाव (Effects of Excess intake of Fluorine); फ्लोरीन की प्राप्ति के साधन (Sources of Fluorine); फ्लोरीन की दैनिक आवश्यकता (Daily requirement of Fluorine)
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फ्लोरीन अधिकता के निम्नलिखित प्रभाव होते हैं
1. दाँतों के प्रभाव (Dental fluroisis)- पानी में फ्लोरीन की अधिकता (3.5 ppm से अधिक) से दांत चमकहीन तथा चूने की सफेद (Motted enamel) लगने हैं।
दाँतों का enamel खुरदरा हो जाता है तथा दाँतों में गड्डे महसूस होते हैं।
दाँतों पर पीले - भूरे रंग का पदार्थ जम जाता है।
दाँत भूरभुरे होकर सरलता से टूटने लगते हैं।
2. अस्थियों पर प्रभाव (Skeletal fluorosis) - अधिक समय तक फ्लोरीन की बहुत अधिक मात्रा (10 ppm से अधिक) लेन से भूख कम हो जाती है तथा अस्थियों पर भी कुप्रभाव पड़ता है। रीढ़ (Spine), पैल्विस (Pelvis), बाजू व टाँगों (Limbs) की हड्डियों में कैल्शियम का जमाव आवश्यकता से अधिक हो जाता है, जोड़ सख्त (Stiff) हो जाते हैं और व्यक्ति प्रतिदिन के कार्यों जैसे कि झुकना (bending), पालथी मार कर बैठना (Squatting) आदि करने में असमर्थ हो जाता है। इसे Ankylosing Spondylitis कहते हैं। उत्तरी भारत के कुछ भागों में पीने के पानी में 14 ppm से भी अधिक फ्लोरीन होती है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
सरोज बाला, कुरूक्षेत्र (हरियाणा)