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आहारीय फोक, Dietary Fiber
सरोज बाला, कुरूक्षेत्र (हरियाणा)
कार्बोज की पोलीसैकराइड्स श्रेणी में सैल्यूलोज, हैमीसैल्यूलोज तथा पैक्टिन आदि पदार्थ आते हैं। ये पदार्थ मिलकर फोक का निर्माण करते हैं तथा कार्बोज की श्रेणी में आकर भी उनसे कर्इ बातों में भिन्न हैं जैसे कि ये हमें ऊर्जा या पौष्टिकता प्रदान नहीं करते, मनुष्य की पाचन प्रणाली के पाचक रसों का इन पर कोर्इ प्रभाव नहीं पड़ता तथा ये बिना किसी परिवर्तन के मल के साथ ही हमारे शरीर से निश्कासित हो जाते हैं।
आहारीय फोक की संरचना तथा गुण (Composition and Properties of Dietary Fiber): - कार्बोज की तरह फोक भी कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के संयोजन से बनते हैं। ये पदार्थ स्टार्च के कणों को बाँध कर रखते हैं। इनमें पानी सोखने की क्षमता होती है। यही कारण है कि चने, राजमा या साबुत दालों को भिगोने से उनका आकार कुछ बड़ा हो जाता है।
फोक के कार्य (Functions of Dietary Fibers): फोक हमें कोर्इ पौष्टिकता प्रदान नहीं करते किन्तु फिर भी इनके महत्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। इनके कार्य निम्नलिखित हैं -
1. भूख को शांत करना (To satisfy hunger) - पौष्टिकता के साथ-साथ हमें भूख को संतुष्ट करने की आवश्यकता भी होती है। यदि ऐसा न होता तो हम भोजन की अपेक्षा विभिन्न पौष्टिक तत्वों की गोलियां या कैप्सूल लेकर ही गुजारा कर लेते। फोक हमारे भोजन की मात्रा को बढ़ा कर भोजन को भार प्रदान करता है जिसे ग्रहण करके हमें तृप्ति तथा मानसिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
2. मल निकासन में सहायता करना (To help in the bowl excretion) - फोक पदार्थ हमारी आंतों की फैलने व सिकुड़ने की गति (Peristaltic Movements) को नियमित करने में सहायता करते हैं। इससे भोजन पाचन प्रणाली में आगे की ओर बढ़ता है। भोजन के पाचन के पश्चात् जब सभी आवश्यक तत्व रक्त में अवशोषित हो जाते हैं तो फोक व्यर्थ तथा अनपचे पदार्थों के साथ मिलकर जल को सोख लेता है। इससे मल की मात्रा बढ़ती है, मल निष्काशन में तीव्रता आ जाती है, आंतें स्वस्थ रहती हैं तथा कब्ज़ से छुटकारा मिलता है।
3. कैलरी की मात्रा पर नियंत्रण (Control on the Calorie intake) - मधुमेह, मोटापा आदि में रोगी को कम कैलोरी वाले आहार की आवश्यकता होती है। आहार की मात्रा कम करने से रोगी की भूख शांत नहीं होती। अगर उसके आहार में फोक की मात्रा बढ़ा दी जाए तो कम आहार से भी भूख शांत हो जाएगी। इस प्रकार फोक कैलोरी की मात्रा पर नियन्त्रण करने में सहायता करता है।
फोक की कमी से होने वाली हानियाँ (Effects of Deficiency of Dietary Fiber): - आजकल लोग छिलके रहित भोजन का प्रयोग करने लग गये हैं। गेहूँ साफ करने तथा पिसवाने के चक्करों से बचने के लिए बाजार का पिसा हुआ चोकर रहित आटा खरीदने की इच्छा बढ़ती जा रही है। मैदे की बनी हुर्इ वस्तुओं जैसे डबलरोटी, नूडल्ज आदि खाने का प्रचलन बढ़ रहा है। छिलके समेत फल खाने की अपेक्षा जूस पीने को अधिमान दिया जाने लगा है। इन कारणों से दैनिक आहार में फोक की कमी बढ़ती जा रही है। फोक की कमी से निम्नलिखित हानियाँ होती हैं –
1. भोजन अधिक मात्रा में खाया जाता है जिससे पोषक तत्त्वों की अधिकता से कुपोषण हो जाता है।
2. कब्ज़ रहती है तथा कब्ज के कारण पेट में कर्इ अन्य विकार पैदा हो जाते हैं जैसे गैस बनना, अपच आदि।
3. सिर भारी रहता है तथा कर्इ बार चक्कर आने लगते हैं।
4. बड़ी आंत में कैसर होने का भय रहता है।
फोक की अधिकता से हानियाँ (Effects of Excess of Dietary Fiber): - फोक की अधिकता से आंतों के फैलने तथा सिकुड़ने की गति बहुत तेज हो जाती है। इससे पानी का निष्काशन अधिक मात्रा में होने लगता है तथा खाना पेट और आंतों में कम समय तक रहता है। इतने कम समय में पाचक रस तथा एन्जाइम्स भोजन पर पूरी तरह से पाचन क्रिया नहीं कर पाते। इससे भोजन का न तो पाचन पूरी तरह से हो पाता है और न ही पोषक तत्त्वों का अवशोषण। इसके फलस्वरूप कुछ पोषक तत्त्वों की कमी के लक्षण दिखार्इ देने लगते हैं। कर्इ बार दस्त लग जाते हैं जिससे पोषक तत्त्वों की हीनता और बढ़ जाती है।
फोक की प्राप्ति के साधन (Sources of Dietary Fiber): - स्लाद, फल (छिलके समेत), हरी पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत दालें, चोकर सहित अनाज आदि फोक प्राप्ति के अच्छे साधन हैं। इसके विपरीत दूध, दूध से बने पदार्थ, धुली दालें, मांस, मछली, अण्डा आदि में फोक की मात्रा बहुत न्यून होती है।
फोक की दैनिक आवश्यकता (Daily Requirement of Dietary Fiber): फोक की आवश्यकता स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। सामान्य अवस्था में एक प्रौढ़ व्यक्ति को 5-6 ग्राम फोक पदार्थ अपने दैनिक आहार में सम्मिलित करने चाहिएं, कब्ज की स्थिति में इसकी मात्रा बढ़ाकर 10-15 ग्राम कर देनी चाहिए। अतिसार में यह मात्रा 1-2 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए ताकि आंतों की दीवारों पर इसका प्रभाव न पड़े। छोटे बच्चों को भी फोक की बहुत कम मात्रा देनी चाहिए क्योंकि उनका पाचन संस्थान बहुत कोमल होता है तथा वे एक समय पर थोड़ा खाना खा सकते हैं जबकि उनकी पौष्टिक आवश्यकताएं अधिक होती हैं। मोटे व्यक्तियों को फोक की अधिक मात्रा लेनी चाहिए ताकि उनके आहार में कैलोरी की मात्रा कम की जा सके।