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पोषण विज्ञान (Nutrition)

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‌‌‌भोजनभोजन किसे कहते हैं?पोषण तत्त्वपोषण विज्ञान; भोजन का वर्गीकरणभोजन का महत्त्व तथा कार्यभोजन के शारीरिक कार्यभोजन के मनोवैज्ञानिक कार्यभोजन के सामाजिक - सांस्कृतिक कार्य

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पोषण, मानव जीवन की आधारभूत है, जिसका शारीरिक वृद्धि तथा उत्तम स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध है। पोषण विज्ञान सम्बन्धी जानकारी प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। पोषण का एक विज्ञान के रूप में परिचय सर्वप्रथम लैवोयज़र (Lovoisier) ने 18वीं शताब्दी के अन्त में दिया था। इसलिए उन्हें पोषण विज्ञान का जन्मदाता कहा जाता है। पोषण विज्ञान की कर्इ परिभाषाएं हैं।

टर्नर महोदय के अनुसार, ‘पोषण उन प्रक्रियाओं का संयोजन है जिनके द्वारा जीवित प्राणी अपनी क्रियाशीलता को बनाये रखने के लिए तथा अपने अंगों की वृद्धि एवं पुन: निर्माण के लिए आवश्यक पदार्थों को प्राप्त करता है व उनका प्रयोग करता है।’

राजामल पी. देवदास (Rajamal P. Devdas) के अनुसार,’’ पोषण वह स्थिति है जो शरीर के रख रखाब तथा विकास के लिए आवश्यक है। -

शरीर में कार्य करता हुआ भोजन पोषण कहलाता है। पोषण की दो स्थितियाँ देखी जा सकती हैं –

I. उत्तम पोषण

II. कुपोषण

I. उत्तम पोषण (Good Nutrition): जब कोर्इ व्यक्ति अपने शरीर की आवश्यकता अनुसार सभी आवश्यक पोषक तत्त्व प्राप्त करता है तो उस स्थिति को उत्तम पोषण कहते हैं। उत्तम पोषण वाला व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है तथा वह अपनी आयु के अनुसार क्रियाशील होता है। उसमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं -

1. माँसपेशियाँ मज़बूत होती हैं।

2. त्वचा चिकनी तथा कान्तिमान (Glowing) होती हैं।

3. शारीरिक भार तथा लम्बार्इ, चौड़ार्इ उचित अनुपात में होते हैं।

4. आँखें चमकदार तथा ‌‌‌आँखों की ‌‌‌दृष्टि ठीक होती है।

5. भूख ठीक लगती है तथा पाचन भी ठीक होता है।

6. नींद गहरी आती है तथा सोकर उठने के बाद उसे तरोताज़ा (Fresh) महसूस होता है।

7. शरीर में रोग निरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है।

8. एकाग्रता (Concentration) बढ़ती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है।

9. हड्डियाँ तथा दातँ मज़बूत होते हैं।

10. बाल चमकीले तथा मज़बूत होते हैं।

II. कुपोषण (Malnutrition): जब कोर्इ व्यक्ति पोषक तत्त्वों की आवश्यकता से अधिक या आवश्यकता से कम मात्रा में लेता है तो यह स्थिति कुपोषण कहलाती है। कुपोषण दो प्रकार का होता है:

(i) आवश्यकता से अधिक पोषण (Over Nutrition): इस अवस्था में विभिन्न पोषण तत्त्वों की अधिकता हो जाती है। कार्बोज तथा वसा की अधिकता से मोटापा (Obesity) आ जाता है। अन्य पोषक तत्त्वों की अधिकता से कर्इ प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।

(ii) अपर्याप्त पोषण (Under Nutrition): जब कोर्इ व्यक्ति भोजन या पौष्टिक तत्त्व आवश्यकता से मात्रा में लेता है तो असके शरीर में पोषक तत्त्वों की कमी हो जाती है। इस स्थिति को अपर्याप्त पोषण कहते हैं। वसा तथा कार्बोज की कमी से व्यक्ति का भार बहुत कम हो जाता है, प्रोटीन की कमी से क्वाशियोरकर रोग हो जाता है। खनिज लवणों की कमी से हड्डियाँ तथा दाँत कमजोर हो जाते हैं।

भारत में कुपोषण के मुख्य कारण गरीबी, अज्ञानता, खाद्य पदार्थों में मिलावट, भोजन सम्बन्धी गलत आदतें तथा गलत धारणाएँ हैं। आजकल पोषण सम्बन्धी जागरूकता बढ़ाने के प्रयास सरकारी दोनों स्तरों पर किए जा रहे हैं।

‌‌‌सरोज बाला, ‌‌‌कुरूक्षेत्र (‌‌‌हरियाणा)

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