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डाइसैक्राइड्स, Disaccharides

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कार्बोहाइे्रटकार्बोहाइे्रट्स का वर्गीकरणमोनोसैक्राइडडाइसैक्राइडपोलीसैक्राइडकार्बोज की प्राप्ति के साधनकार्बोज़ के कार्यकार्बोज़ की कमी का प्रभावकार्बोज की अधिकता का प्रभावकार्बोज की दैनिक ‌‌‌आवश्यकता

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डाइसैक्राइड्स, दो मोनोसैक्राइड अणुओं के मिलने से बनते हैं, इसलिए इन्हे द्वि-शर्करा भी कहते हैं। इनका प्रत्येक अणु, पाचन एन्जाइम (Digestive enzyme) या अम्लों की क्रिया तथा जलीय अपघटन (Hydrolysis) द्वारा दो मोनोसैक्राइड अणुओं में विभक्त हो जाता है। इनका सूत्र C12H22O11 है। डाइसैक्राइड्ज जल में घूलनशील, विसारशील तथा रवे बनाने की क्षमता से युक्त होते हैं। पोषण की दृष्टि से इस समूह में तीन प्रकार की शर्करा का महत्त्व है।

सुक्रोज (Sucrose or Sugar cane): - इसे गन्ने या चुकन्दर की शर्करा भी कहते हैं। यह प्रतिदिन प्रयोग में लार्इ जाने वाली साधारण चीनी है। गन्ना, चुकन्दर, गाजर, ताड़ तथा अनेक प्रकार के पौधों के रस इसकी प्राप्ति के मुख्य सााणन हैं। सुक्रोज मीठा, जल में घुलनशील तथा रवेदार होता है।

पचन के पश्चात् या जलीय अपघटन के द्वारा यह एक अणु ग्लूकोज तथा एक अणु फ्रक्टोज में विभक्त हो जाता है। पाचन क्रिया द्वारा अधिकांशत: सुक्रोज तथा फ्रक्टोज के रूप में हो जाता है।

सुक्रोज + जल ----(सुक्रोज एन्जाइम)à ग्लूकोज + फ्रक्टोज

सुक्रोज + जल ----हल्का नमक का तेजाब)à ग्लूकोज + फ्रक्टोज

माल्टोज या जवा-शर्करा (Maltose or malt sugar): - यह शर्करा अंकुरित अनाज, माल्टयुक्त दूध तथा जवा युक्त खाद्य पदार्थों से प्राप्त होती है। स्टार्च नामक जटिल शर्करा का पाचन ग्लूकोज के रूप में होता है किन्तु इस प्रक्रिया में माल्टोज ऐ मध्यवर्ती पदार्थ के रूप में उत्पन्न होता है। अंकुरण प्रक्रिया में भी कार्बोज एमार्इलेज एन्जाइम के द्वारा जवा-शर्करा में परिवर्तित हो जाते हैं। विभक्तिकरण के बाद माल्टोज का एक अणु ग्लूकोज के दो अणु देता है। जवा-शर्करा का हमारे शरीर में अभिशोषण पूरी तरह से नहीं हो पाता है।

स्टार्च ----(एमीलेस एन्जाइम)à मालटोज

माल्टोज + जल ----(माल्टेस एन्जाइम)à 2 ग्लूकोज

दुग्ध शर्करा (Lactose): - इस द्वि-शर्करा में एक अणु ग्लूकोज तथा एक अणु गैलेक्टोज का होता है। सभी स्त्नधारी जीवों में उपस्थित होने के कारण इसे दुग्ध शर्करा कहा जाता है। ICMR के अनुसार मानव दूध में लैक्टोज की मात्रा 7.4% होती है, गाय के दूध में 4.4%, भैंस के दूध में5.0% तथा बकरी के दूध में 4.6% होती है। लैक्टोज अन्य द्वि-शर्कराओं की अपेक्षा कम मीठी तथा कम घुलनशील होती है। दुग्ध-पाचन में दूध लसीका वाहिनी द्वारा पहले दही में परिवर्तित होता है। दही के रूप में, लैक्टिक अम्ल (Lactic acid) में बदल जाता है। ऐसा माना जाता है। कि दुग्ध शर्करा, आँत्र नली को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होती है।

लेक्टोज + जल ----(लेक्टेज एन्जाइम)à ग्लूकोज + गैलेक्टोज

‌‌‌सरोज बाला, ‌‌‌कुरूक्षेत्र (‌‌‌हरियाणा)

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