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वसा की प्राप्ति के साधन, Sources of Fats
वसा तथा लिपिड; वसा की प्राप्ति के साधन; वसा की दैनिक आवश्यकता; वसा के कार्य; वसा की कमी से हानियाँ; वसा की अधिकता से हानियाँ; वसा की विशेषताएं
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वसा की प्राप्ति के साधनों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है-
1. खाद्ध पदार्थों में उपस्थित रूप के अनुसार (According to the from present in food products) - खाद्ध पदार्थों में वसा दो रूपों में उपस्थित होती है।
(i) दृष्य रूप (Visible form): प्रकृति में वसा, गुड़, चीनी तथा शर्करा को छोड़ कर सभी भाज्य पदार्थों में पार्इ जाती है। जिन भोज्य पदार्थों में वसा सपष्ट रूप से दिखार्इ देती है उन्हें वसा के दृष्य साधन (Visible Sources) कहा जाता है। इन साधनों से प्राप्त वसा को शुद्ध वसा कहते हैं। ये साधन हमें आहारीय वसा का 40 प्रतिशत भाग उपलब्ध कराते हैं। जैसे शुद्ध वनस्पति घी, मक्खन, मलार्इ, तेल आदि ।
(ii) अदृष्य रूप (Invisible form)- कुछ भोज्य पदार्थें में वसा की मात्रा होती है किन्तु वह स्पश्ट रूप से दिखार्इ नहीं देती, ऐसे साधनों को अदृष्य साधन (Invisible Sources) कहा जाता है। इस प्रकार की वसा को समांगीकृत वसा (Homogenised fat) कहते हैं जैसे कि पनीर, मांस, मछली, अण्डे, सूखे मेवे, तिल, नारियल, सोयाबीन, अनाज आदि की वसा। यह वसा हमारी भोज्य वसा का 60 प्रतिशत भाग बनाती है।
2. साधनों के अनुसार (According to Sources) - वसा की प्राप्ति के साधनों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है-
(i) वनस्पति साधन (Vegetarian Sources) - जैसे सूखे मेवे, बिनौला, असली, नारियल, सरसों, सोयाबीन आदि।
(ii) प्राणिज साधन - (Animal Sources) जैसे दूध, मक्खन, मलार्इ, शुद्ध घी, मछली, अण्डा,मांस विशेशकर सूअर का मांस।