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वसा के कार्य, Functions of Fats
वसा तथा लिपिड; वसा की प्राप्ति के साधन; वसा की दैनिक आवश्यकता; वसा के कार्य; वसा की कमी से हानियाँ; वसा की अधिकता से हानियाँ; वसा की विशेषताएं
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वसा हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है।
1. ऊर्जा का साधन (Source of engery): वसा ऊर्जा का अत्यधिक सान्द्रित साधन है। एक ग्राम वसा 9 कैलरी ऊर्जा देता है जबकि कार्बोज व प्रोटीन का एक-एक ग्राम क्रमश: 2.0 व 4 कैलरी ऊर्जा देता है। जीवित प्राणियों में आरक्षित ऊर्जा का सर्वोच्च भण्डार शरीर के वसा संग्रहों में मिलता है तथा आवश्यकता होने पर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। कार्बोज ऊर्जा की आवश्यकता को तत्क्षण पूरा कर देते हैं किन्तु बहुत कम समय के लिए। यकृत में लगभग 370 ग्राम ग्लूकोज ही ग्लायकोजन के रूप में सुरक्षित कोष ‘चर्बी’ के रूप में सुरक्षित होता है जबकि एक सामान्य शारीरिक भार वाले व्यक्ति के शरीर में लिपिड्स का सुरक्षित कोष चर्बी के रूप में शारीरिक भार का लगभग 10-15 प्रतिशत होता है। बहुत मोटे व्यक्तियों में एडिपोज तन्तुओं का भार का 30 प्रतिशत भी हो सकता है। लम्बे समय के लिए ऊर्जा देने का कार्य लिपिड्स के द्वारा ही सम्पम्न किया जाता है। अगर शरीर में ऊर्जा का संग्रह इस प्रकार न हो पाता तो हमें ऊर्जा प्राप्ति के लिए थोड़े-थोड़े समय के बाद भोजन की आवश्यकता महसूस होती।
2. आवश्यक वसा अम्लों का साधन (Source of Essential Fatty Acids): वसा में पाए जाने वाले कुछ आवश्यक वसा अम्लों जैसे लिनोलिक तथा एराकिडोनिक अम्लों का शरीर में निर्माण नहीं हो सकता। इसलिए उन्हें भोजन द्वारा ग्रहण करना आवश्यक होता है। ये अम्ल शरीर तथा त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होते हैं। इनकी कमी से शारीरिक वृद्धि तथा प्रजनन क्रिया में रूकावट आती है। लिनोलिक वसा अम्ल प्रजनन क्रिया, वृद्धि को बनाये रखने में तथा स्तनधारी जीवों में दुग्ध निर्माण क्रिया में सहायता करता है। यह चर्म रोगों के उपचार में भी उपयोगी पाया जाता है। शरीर से अत्यधिक जल की हानि को रोकने तथा रक्त वाहिनियों (Blood capillaries) को अर्द्धपारगम्य (semipermeable) बनाने में सहायता करता है। इससे सूर्य की तेज किरणों का भी शरीर पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता तथा पसीने के रूप में बनने वाली भाप की मात्रा भी कम हो जाती है।
3. वसा में घुलनशील विटामिनों का साधन (source of fat soluble Vitamins): वसा में घुलनशील विटामिन (A, D, E, K) शरीर में तभी अवशोषित हो सकते हैं जब हमारे भोजन में वसा हो। भोजन में वसा की कमी होने से इन ‘वसा में विलेय’ विटामिनों की कमी भी हो जाएगी। इसके अतिरिक्त कुछ प्राणि वसों जैसे मक्खन, मछली का तेल शुद्ध घी में विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ की मात्रा होती है। वनस्पति वसा जैसे गेहूँ के बीच वाले भाग के तेल (wheat germ oil) में विटामिन ‘र्इ’ होता है। स्टीरोल, जो त्वचा के नीचे उपस्थित होता है, सूर्य की रोशनी में विटामिन में ‘डी’ का निर्माण करता है।
4. कोमल अंगों को सुरक्षा प्रदान करना (To give protection to sensitive organs of body): शरीर के कोमल अंगों जैसे हृदय, गुर्दे, तन्त्रिका तन्त्र आदि के चारों और वसा की तहें होती हैं। ये तहें ऊर्जा के भण्डार भी हैं और अपनी गद्दीनुमा रचना से इन कोमल अगों को बाहरी धक्कों तथा आकस्मिक आघातों से बचा कर स्थिरता एवं संरक्षण प्रदान करती हैं।
5. शरीर के तापक्रम का नियन्त्रण करना (Regulates body temperature): हमारी त्वचा के नीचे वसा की एक तह होती है जो हमारे शरीर के तापमान को सामान्य (98.4°F) बनाये रखने में सहायक होती है। ताप की कुचालक (Insulator) होने के कारण, वसा की यह तह सर्दियों में हमारे शरीर का तापमान सामान्य से कम नहीं होने देती तथा गर्मी में सामान्य से अधिक नहीं होने देती।
6. भोजन का स्वादिष्ट बनाना (Adds taste to the food): भोजन में वसा के प्रयोग से भोजन का स्वाद बढ़ जाता है, विभिन्नता आ जाती है तथा एक विशेष प्रकार की सुगन्ध निकलती है जो लार उत्पन्न करने में सहायता देती है। तले हुए भोज्य पदार्थ, उबले हुए भोज्य पदार्थों से अधिक स्वादिष्ट लगते हैं।
7. भोजन को तृप्तिदायक बनाना (Gives satiety value to the food): वसा शरीर में पाचक रसों के स्राव को कम कर देती है। यही कारण है कि वसायुक्त भोजन देरी से पचता है। तला हुआ भोजन, भारी होने के कारण अधिक समय तक पेट में रहता है जिससे भूख जल्दी नहीं लगती तथा व्यक्ति भोजन की तृप्ति अधिक समय तक महसूस करता है। तले हुए भोज्य पदार्थों जैसे टिक्की, समोसा, पकौड़े, ऑमलेट आादि का हमारे भोजन में विशिष्ट स्थान है।
8. प्रोटीन की बचत करना (Protein sparing action): हमारे शरीर को ऊर्जा मुख्य रूप से कार्बोज तथा वसा से ही प्राप्त होती है। भोजन में वसा की कमी होने पर ऊर्जा की आवश्यकता कार्बोज द्वारा पूरी नहीं हो पाती तथा प्रोटिन को अपना निर्माण कार्य छोड़ कर ऊर्जा की आवश्यकता वसा कार्बोज से पूरी हो जाती है तो प्रोटीन को अपने मुख्य कार्यों (शरीर निर्माण व पुन: निमार्ण) के लिए बचाया जा सकता है।
9. स्वस्थ त्वचा के लिए (For healthy skin): वसा हमारी त्वचा तथा पाचन संस्थान के विभिन्न अंगाों जैसे आमाश्य तथा आंत्र मार्ग को चिकनाहट (Lubrication) प्रदान करती है। आवश्यक वसा अम्ल हमारी त्वचा का लचीलापन बनाये रखने में सहायक होते हैं। इन अम्लों की कमी से त्वचा सम्बन्धी रोग जिसे फ्राइनोडर्मा (Phrynoderma) कहते हैं, हो जाता है।
10. वसा से भोजन का भार कम हो जाता है।
11. लेक्टोज़ में उपस्थित गैलेक्टोज़ के शरीर द्वारा उपयोग के लिए वसा की आवश्यकता होती है।
12. मस्तिष्क के सफेद भाग में लगभग 14 प्रतिशत, भूरे पदार्थ में 6 प्रतिशत कोलेस्टोरोल होता है।