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योग क्या है?
योग एक आध्यात्मिक अनुशासन एवंअत्यन्त सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित है जो मन व शरीर के बीच सामंजस्य का कार्य करता है। यह स्वस्थ जीवन की कला व विज्ञान है। संस्कृत वाड्मय के अनुसार योग शब्द यज् धातु में घञ् प्रत्यय लगाने से निष्पन्न होता है जो पाणिनीय व्याकरण के अनुसार तीन अर्थों में पाया जाता है। (1) युज् समाधौ = समाधि, (2) युजिर योगे = जोड़, (3) युज् संयमने = सांमजस्य। यौगिक ग्रंथों के अनुसार, योग का अभ्यास व्यक्तिगत चेतनता को सार्वभौमिक चेतनता के साथ एकाकार कर देता है। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड में उपस्थित सब कुछ परमाणु की एक अभिव्यक्ति है। जिसने योग में इस अस्तित्व के एकत्व का अनुभव कर लिया है, उसे योगी कहा जाता है, योगी पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त कर मुक्तावस्था को प्राप्त करता है जिसे मुक्ति, निर्वाण, कैवल्य या मोक्ष कहा जाता है।
‘योग’ का प्रतीक आंतरिक विज्ञान के रूप में भी किया जाता है, जो विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं का सम्मिलन है, जिसके माध्यम से मनुष्य शरीर व मन के बीच सांमजस्य स्थापित कर आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करता है। योग अभ्यास (साधना) का उदद्देश्य सभी त्रिविध प्रकार के दु:खों से आत्यन्तिक निवृत्ति प्राप्त करना है, जिससे प्रत्येक व्यक्ति जीवन में पूर्ण स्वतन्त्रता व स्वास्थ्य, प्रसन्नता और सांमजस्य का अनुभव प्राप्त कर सके।