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वक्रासन
वक्र का अर्थ घुमाव या ऐंठन है। इस आसन के अभ्यास में मेरूदण्ड की अस्थि को घुमाते हैं, जिससे शरीर की आकृति वक्र हो जाती है, जिसके कारण इसे वक्रासन कहते हैं। इसके अभ्यास से शरीर में कार्य करने की क्षमता को नया जीवन मिलता है।
शारीरिक यथास्थिती: दण्डासन
अभ्यास विधि:
* सर्व प्रथम दाएं पैर को मोड़ते हुए उसके पंजे को बाएं घुटने के बाजू में रखना चाहिए।
* श्वास को बाहर छोड़ते हुए, शरीर को दांर्इ तरफ घुमाएं।
* बांए हाथ को घुटने के पास लाएं और दांए पैर के अंगुठे को पकड़ लें।
* हथेली को दांए पैर के पास रखें।
* दांए हाथ को पीछे ले जाएं व हथेली को जमीन पर रखें।
* जब तक कि पीठ लंबवत न हो जाए।
* इस स्थिती में 10 से 30 सेकंड के लिए रहें।
* सामान्य श्वास प्रश्वास लेते रहें व शरीर को शिथिल रखना चाहिए।
* श्वास को बाहर छोड़ते हुए अपने हाथ हटा लें और शिथिल हो जाएं।
* इस अभ्यास क्रम को दूसरी तरफ से भी दोहराना चाहिए।
लाभ:
मेरूदण्ड (vertebral column) की अस्थि में लचीलापन बढ़ाता है
कब्ज व अग्निमांद्य (dyspepsia) को दूर करने में सहायता प्रदान करता है।
अगन्याशय (pancreas) की शक्ति बढ़ाता है व मधुमेह के प्रबन्धन में सहायता करता प्रदान करता है।
सावधानियां:
अधिक पीठ दर्द में इस अभ्यास को नही करना चाहिए।
कशेरूका (vertebral) व डिस्क अव्यवस्था (disorder) की स