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भुजंगासन

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भुजंग शब्द का अर्थ सांप, सर्प, नाग है। इस आसन में शरीर की आकृति सांप के फन की तरह ऊपर उठती है जिसके कारण इस आसन को भुजंगासन कहते हैं।

शारीरिक यथास्थिती: मकरासन, उदर के बल लेटकर किया जाने वाला आसन

अभ्यास विधि:

* सर्व प्रथम मकरासन में लेटना चाहिए।

* हाथों पर सिर को टिकाते हुए शरीर को शिथिल करना चाहिए।

* शरीर को शिथिल करने के बाद पैरों को आपस में मिलाएं।

* हाथों को खींचकर रखते हुए ललाट को जमीन पर रहने देना चाहिए।

* अब हाथों को शरीर के बगल में रखना चाहिए।

* हथेलियों कोहनियों को जमीन पर रहने देना चाहिए।

* धीरे-धीरे श्वास अन्दर खींचते हुए ठुड्डी नाभि क्षेत्र तक शरीर को ऊपर उठाना चाहिए।

* कुछ समय तक इस स्थिती में आराम से रहें।

इस अभ्यास को सरल भुजंगासन कहा जाता है।

* पुन: वापस लौटते हुए ललाट को जमीन पर रखना चाहिए।

* हथेलियों को वक्ष के बगल में रखना चाहिए।

* ऐसे में कोहनियां ऊपर की ओर उठी हुर्इ होनी चाहिए।

* धीरे-धीरे श्वास को अन्दर खींचना चाहिए।

* ठुड्डी नाभि क्षेत्र तक के शरीर को ऊपर उठाएं।

इस अभ्यास को भुजंगासन कहा जाता है।

* पन: श्वास को बाहर छोड़ते हुए ललाट को जमीन पर शिथिल होने देना चाहिए।

* हथेलियों के ऊपर सिर पैरों को फैला कर शरीर को शिथिल करना चाहिए।

ध्यातव्य:

पैरों को इतना ही दृढ़ रखें कि कटि क्षेत्र के मेरूदण्ड में कोर्इ भार या तनाव हो।

लाभ:

तनाव प्रबंधन के लिए यह आसन सर्वश्रेष्ठ है।

यह उदर

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