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सर्दी में पशुओं का रखरखाव
के.एल. दहिया* एवं राहुल बराड़**
* स्नातक, पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान; ग्लोबल सीटी, कुरूक्षेत्र, हरियाणा – भारत
** M.V.Sc., Veterinary Public Health & Epidemiology; Lala Lajpat Rai University of Veterinary & Animal Sciences, Hisar, Haryana – India, (email: rahulbrar55@gmail.com)
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सर्दी के मौसम में पशुपालकों को अपने पशुओं को सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। सर्दी के कारण यदि पशु बीमार होता है तो इससे पशु का उपचार करवाने में पशुपालकों को आर्थिक हानि होने के साथ-साथ बीमार पशु कमजोर भी हो जाता है। इससे पशु के दूध देने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है व कई बार पशु दूध देना भी बंद कर देता है। कई बार बीमारी बढ़ने पर पशु की मौत भी हो जाती है। ऐसे में शैड के तापमान का खास ध्यान रखें। भैंस जाति के पशु सर्दी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
सर्दी के लक्षण
सुस्त, थका हुआ सा बैठा रहना।
आँख से पानी बहना।
पशु की नाक से पानी और बलगम का बहना।
पशु का जुगाली न करना।
खान-पान में कमी या बिल्कुल ही नहीं खाना।
दुग्ध उत्पादन में कमी।
संक्रमण होने पर शरीर के तापमान में कमी होना।
यदि पशु को ठण्ड लगने का अंदेशा हो तो ऐसे में पशु पालक निम्नलिखित उपाय करें:
सर्द हवाओं से बचाएं: सर्द हवाओं से बचाने के लिए शैड के लिए रोशनदान, दरवाजों व खिड़कियों को टाट और बोरे से ढंक दें। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि शैड बिल्कुल भी पैक न हो अर्थात शैड में थोड़ी-बहुत ताजी हवा भी आनी चाहिए। इसके लिए पल्ली या तिरपाल के नीचले हिस्से को थोड़ा ऊपर कर देना चाहिए। इसी प्रकार पल्ली या तिरपाल के ऊपरी हिस्से को थोड़ा नीचे खिसका देना चाहिए। ऐसा करने से नीचले हिस्से से ताजी हवा अन्दर आएगी, जो गर्म होने के उपरान्त ऊपरी खुले हिस्से से बाहर निकल जाएगी। ऐसा करने से श्वास संबन्धी रोग होने की सम्भावना कम रहेगी।
साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें: सर्दी के मौसम में पशुओं के नीचे सफाई का विशेष ध्यान रखें। ज्यादा देर तक उन्हें गीले में न बैठने दें। धूप निकलने पर पशुओं को शेड के अंदर से बाहर निकालने के बाद शैड के चारों ओर लगी पल्ली या तिरपाल को खोल दें अर्थात ऊपर की ओर खिसका दें। ऐसा करने से धूप अन्दर आएगी और गीले बिछावन को सूखने में सहायता प्रदान करेगी। ऐसा करने से शैड में उत्पन्न हुई अमोनिया गैस, जो श्वास रोग उत्पन्न करती है, भी बाहर निकल जाएगी।
शैड को गर्म रखना: पशु चिकित्सकों के अनुसारी सर्दी में रात का तापमान 15° सेंटीग्रेड तक आने पर पशुबाड़े को गर्म रखने की सबसे अधिक जरूरत होती है। यदि पक्का शेड है तो गेट पर तिरपाल लगाया जा सकता है। इससे भी कम तापमान होने पर अंगीठी की सहायता से शेड को गर्म रखा जा सकता है, लेकिन अंगीठी का धुआं शेड से बाहर निकालें। जब धुआं निकल जाए, तब अंगीठी को ऐसी जगह पर रखें, जहां पशु की पहुंच न हो। अंगीठी जलाने के दौरान पशुबाड़े में हवा की क्रॉसिंग का प्रबन्ध होना चाहिए।
ठण्डा पानी न पीलाएं: ठण्डा पानी पीलाने से खासतौर पर, छोटे बाल पशुओं में, खून की लाल रक्त कणिकाएं टूटने से हिमाग्लोबिन पेशाब में आना शुरू हो जाता है। इसलिए पशुओं को रात का ठण्डा पानी न पीलाएं।
पशुओं को ताजे पानी से नहलाएं: दोपहर से पहले ताजे पानी में पशुओं को नहलाएं। कमजोर पशुओं को नहलाने के बजाय सूखे कपडे़ व पुआल से रगड़कर उसके शरीर की सफाई करें।
बाल पशुओं का विशेष ध्यान रखें: सर्दी के मौसम में पशुओं के बच्चों का भी ध्यान रखें। नवजात बाल पशु को खीस (ब्याने के बाद माँ का पहला दूध) अवश्य पिलाएं, इससे बीमारी से लडऩे की क्षमता में वृद्धि होती है। उन्हें अधिक दूध पिलाने के साथ-साथ अन्त:-कृमिनाशक दवा भी अवश्य पिलानी चाहिए।
पैरासीटामोल की गोली: पशु को ठण्ड लगने पर सबसे पहले चिकित्सक को दिखाएं। यदि रात के समय परेशानी है तो पशु पैरासिटामोल की गोलीयां दे सकते हैं। 50 किलोग्राम के पशु को 100 मिलीग्राम की गोली दी जाती है। ऐसे में बड़ी भैंस को पांच-छ: गोलीयां दी जा सकती हैं। सर्दी के मौसम में पशुपालक पैरासिटामोल की गोलीयां घर पर रखें। पशु को गर्म पानी की भांप भी दी जा सकती है।
कुक्कुटों को अतिरिक्त गर्मी: कुक्कुट ऐसा पक्षी है जो शरीर का तापमान स्वयं स्थिर नहीं रख पाता है। एक दिन का चूजा जब फार्म पर आए, उसे 35° सेंटीग्रेड तापमान मिलना चाहिए। इसके लिए फार्म में पर्याप्त मात्रा में बिजली के 100-100 वाट के बल्ब लगाए जा सकते हैं। बुखारी का सहारा भी लिया जा सकता है। बाजार में गैस चलित उपकरण भी उपलब्द्ध हैं।
कुक्कुटों का भी रखें ध्यान: पोल्ट्री फार्मिंग हरियाणा का बड़ा व्यवसाय है। एशिया की मण्डी में चूजों की मांग को पूरा करने में हरियाणा पूरी भमिका निभाता है। ऐसे में व्यवसायियों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। प्रति एक हजार मुर्गियों पर एक किलोग्राम गुड़ या शक्कर फीड में मिलाकर दें। पानी के साथ एक हजार मुर्गियों पर 100 मिलीग्राम जामुन का सिरका मिलाना चाहिए।
पशुओं को अतिरिक्त प्रोटीन दें: सर्दी के मौसम में पशु को अपने शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में अतिरिक्त प्रोटीन दी जा सकती है। नियमित रूप से गुड़, सरसों की खल, सोयाबीन की खल और अनाज में बाजरा दिया जा सकता है। छोटे बच्चों को प्र्याप्त मात्रा में मां का दूध दिया जाना चाहिए।
टीकाकरण: सर्दीयों में पशुओं को होने वाले रोग खासतौर पर मुँह पका-खुर पका रोग के प्रति अवश्य ही सचेत रहना चाहिए। इस प्रकार के रोगों से पशुओं को बचाने के लिए समय रहते अपने पशुओं को अवश्य ही टीकाकरण करवा लेना चाहिए।
पशु चिकित्सक से करें सम्पर्क: पशु को किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर स्थानीय पशु चिकित्सक को बिना देरी किये अवश्य ही दिखाना चाहिए।
संदर्भ
अज्ञात, 2017, “ठंड के मौसम में पशुपालन कैसे करें?,” Growel Agrovet Private Limited. Assessed on January 05, 2017. [Web Reference]
जागरण, 2014, “ठंड में पशुओं की करें उचित देखभाल,” assessed on January 05, 2017. [Web Reference]
दिति बाजपेई, 2015, “सर्दियों में दुधारू पशुओं की करें देखभाल,” गाँव कनेक्शन, assessed on January 05, 2017. [Web Reference]
मनोज पंवार, 2016, “शीत तापघात से हो सकती है पशुओं की मौत,” राजस्थान पत्रिका, assessed on January 05, 2017. [Web Reference]