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केशाकर्षण शक्ति, Capillary Force
प्रकृति का पोषणशास्त्र; मृदा और इसका निर्माण; भूमि का गिरता स्वास्थ्य; भूमि अन्नपूर्णा है; खाद्य चक्र; केशाकर्षक शक्ति; चक्रवात; केंचुए - किसान के हलधर; सूक्ष्म पर्यावरण; जैविक व अजैविक घटक एवं पर्यायवरण के मध्य अन्त:क्रिया
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ब्रह्माण्ड का संचालन करने वाली कुछ शक्तियाँ हैं जो प्राकृतिक व्यवस्था में निरन्तर कार्य करती रहती हैं। इनमें से तीन शक्तियाँ - गुरूत्वाकर्षण शक्ति (Gravitational force), केशाकर्षण शक्ति (Capillary force) व नियामक शक्ति (Controlling force) मुख्य हैं।
गुरूत्वाकर्षण शक्ति (Gravitational Force): जो चीज जहाँ से आई है, वह लौट कर वहीं जायेगी। इसको इस प्रकार समझें! एक पेड़ से फल टूट कर नीचे भूमि पर गिरता है। इसी फल में मौजूद बीज भूमि से आवश्यक खाद्य तत्त्व लेकर ऊपर की ओर बढ़ता है और समयावस्थानुसार फल-बीज देता है। अर्थात, फल भूमि से ऊपर, वृक्ष की शाखाओं (आसमान) पर लगा और पकने के बाद नीचे (भूमि) पर गिरता है। इस प्रकार आप कह सकते हैं कि फल ने जो आवश्यक तत्त्व भूमि से लिए थे, नीचे गिर कर व विघटित होकर एक बार इन तत्त्वों को भूमि को दे दिया और वायु से विभिन्न गैसें भी ग्रहण की थी उनको भी एक बार वायु में छोड़ देता है। इसकी बार-बार पुन:आवर्ति प्राकृतिक तौर होती रहती है।
केशाकर्षण शक्ति (Capillary Force): एक ऐसी नली, जिसकी त्रिज्या (Radius) बहुत कम तथा एक समान होती है, केशनली कहलाती है। केशनली में द्रव के ऊपर चढ़ने या नीचे दबने की घटना को केशाकर्षण शक्ति (capillary force) कहते हैं। किस सीमा तक द्रव केशनली में चढ़ता या उतरता है, यह केशनली की त्रिज्या पर निर्भर करता है। संकीर्ण नली में द्रव का चढ़ाव अधिक तथा चौड़ी नली में द्रव का चढ़ाव कम होता है। सामान्यतः जो द्रव कांच को भिगोता है, वह केश नली में ऊपर चढ़ जाता है, और जो द्रव कांच को नहीं भिगोता है वह नीचे दब जाता है। उद्दाहरण के तौर पर - जब केशनली को पानी में डुबाया जाता है, तो पानी ऊपर चढ़ जाता है और पानी की सतह केशनली के अंदर धंसी (उल्टी - inverted) हुई रहती है। इसके विपरीत केशनली को जब पारे (Mercury) में डुबोया जाता है, तो पारा केशनली में, बर्तन में रखे पारे की सतह से नीचे ही रहता है और केशनली में पारे की सतह उभरी (Everted – dome shaped) हुई रहती है।
केशाकर्षकण शक्ति के निम्नलिखित उदाहरण आपने अपने दैनिक जीवन में ब्लॉटिंग पेपर व जलती हुई लालटेन/दीपक अवश्य ही देखें होंगे। ब्लॉटिंग पेपर- स्याही की शीघ्र सोख लेता है; लालटेन या दीपक की बत्ती में केशाकर्षण के कारण ही तेल ऊपर चढ़ता है।
केशाकर्षकण शक्ति को आप एक प्रयोग करके देख सकते हैं। पानी से भरे दो गिलास पास-पास रख लें। इनमें से पानी के एक गिलास में लाल या कोई भी रंग घोल दें। फिर कपड़े या रूई की एक बाती बनाकर दोनों गिलासों के पानी में डुबो दें। थोड़ी देर बाद आपको बाती में रंग दिखने लगेगा व उसके बाद रंगहीन पानी के गिलास में भी पानी रंगीन हो जाएगा। यह केशाकर्षण शक्ति के कारण ही होता है।
इसी प्रकार पेड़-पौधों की शाखाओं, तनों एवं शाखाओं तक जल और आवश्यक तत्त्व केशाकर्षण क्रिया के द्वारा ही पहुँचते हैं। वर्षा के बाद किसान अपने खेतों की जुताई कर देते हैं, ताकि मिट्टी में बनी केशनलियां टूट जाएं और पानी ऊपर ना आ सके व मिट्टी में नमी बनी रह सके।
नियामक शक्ति (Controlling force) अर्थात वाष्पोत्सर्जन (transpiration): केशाकर्षकण शक्ति के कारण जब रंगदार पानी के गिलास से दूसरे गिलास में रंगहीन पानी में तब तक रंग बढ़ता जाएगा जब तक दोनों गिलासों में समरूपता न आ जाए। इसी प्रकार जड़ों द्वारा लिया गया पानी पौधे के पत्तों या अन्य भागों द्वारा वाष्पोत्सर्जन से लगातार वायुमण्डल में मिलता रहता है। पौधों में यही नियामक शक्ति है जो अवशोषित पानी को वाष्पोत्सर्जित कर नियन्त्रित करती रहती है।