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आयुर्वेदिक बटी
क्षुधावती गुटिका
गुण व उपयोग: क्षुधावती गुटिका के सेवन से अम्लपित्त, प्लीहा, पेट फूलना, भूख न लगना, जी मिचलाना, मुँह का स्वाद खराब होना, कब्जियत, आमवात, परिणामशूल,
क्षुधाकारी बटी
गुण व उपयोग: क्षुधाकारी बटी के सेवन से अरूचि, उदर शूल, खट्टी डकारें आना, पेट फूलना, अजीर्ण, मन्दाग्नि, गैस बनना आदि रोगों में विशेष लाभ...क्षार बटी
गुण व उपयोग: क्षार बटी के सेवन से ग्रहणी, अग्निमांद्य, अर्श, रक्त गुल्म, शूल व अरूचि आदि रोगों में उत्तम लाभ मिलता है। यह बटी...हींगुकर्पूरादि बटी
गुण व उपयोग: ज्वरावस्था में सन्निपात के आरम्भिक लक्षण में ही हींगुकर्पूरादि बटी करवाने से विश्रेष लाभ मिलता है। यह नाड़ी की गमि का नियमन...हिंग्वादि बटी
गुण व उपयोग: हिंग्वादि बटी के सेवन से पाचन संस्थान व उदर रोगों में विशेष लाभ्र मिलता है। यह उत्तम पाचक, दीपक व वातानुलोमक है।...सारिवादि बटी
गुण व उपयोग: सारिवादि बटी के सेवन से रक्तपित्त, क्षय, श्वास, अर्श, हृदय रोग, नपंसकता, जीर्णज्वर, अपस्मार, कर्ण रोग, प्रमेह, स्त्री रोग आदि में उत्तम...सौभाग्य बटी (सन्निपात)
गुण व उपयोग: इस बटी के सेवन से शीत ज्वर, घोर कफ युक्त कास, घोर मूच्र्छा युक्त ज्वर, तन्द्रा, समस्त इन्द्रियों का मूच्र्छित होना, उध्र्व...सौभाग्य बटी (प्रसूत)
गुण व उपयोग: इस बटी के सेवन से प्रसूत में होने वाले ज्वर, आमदोष, अतिसार, कफदोष, मन्दाग्नि, शूल, वात प्रकोप आदि में आशातीत लाभ मिलता...संचेतनी बटी
गुण व उपयोग: संचेतनी बटी हृदय, मस्तिष्क व नाड़ियों को चेतना देने वाली है तथा रक्त में गर्मी पैदाकर नाड़ी की गति का संचालन करती...संजीवनी बटी
गुण व उपयोग: संजीवनी बटी उष्ण, स्वेदल व मूत्रल है। यह बटी पसीना लाने वाली, पेशाब साफ करने वाली एवं सर्प विष, कीटाणु एवं ज्वरनाशक...सबीर बटी
गुण व उपयोग: सबीर बटी के सेवन से कुष्ठ, शरीर में चकत्ते पड़ना या रक्त विकार, उपदंश-जन्य संधिवात (गठिया), भगन्दर, व्रणरोग आदिमें रोगानुसार भेद के...सुखविरेचन बटी
गुण व उपयोग: सुखविरेचन बटी के सेवन से पेट खुलकर साफ होता है। इसके सेवन से पूर्व मूँग की खिचड़ी खिलाने से पेट स्निग्ध (चिकना)...सर्पगन्धाधन बटी
गुण व उपयोग: सर्पगन्धाधन बटी के सेवन से उच्च रक्तचाप कम होता है। सामान्यत: उच्च रक्तचाप वाले रोगियों में इसका उपयोग किया जाता है। इसके...सूरणबटक
गुण व उपयोग: यह अर्श रोग में विशेष लाभकारी है। इसके सेवन से वात, कफज, ग्रहणी, प्लीहा रोग, भगन्दर, हिचकी, प्रमेह, फीलपांव, शोथ, श्वास, कास,...शूलवर्जिनी बटी
गुण व उपयोग: शूलवर्जिनी बटी प्लीहा, पिपासा, पीनस, गुल्म, अम्लपित्त, आमवात, वृद्धि रोग, श्वास, व्रण, कुष्ठ, कृमि, श्लीपद, कामला, पांडु, शोथ, शूलश् भगन्दर, कास, हिचकी,...शुक्रमातृका बटी
गुण व उपयोग: शुक्रमातृका बटी के सेवन से वीर्यस्राव और वातज, स्वप्नदोष, मूत्रकृच्छ, कफज, पित्तज, अश्मरी आदि रोगों में आशातीत लाभ प्रदान करती है। यह...शिलाजित्वादि बटी (स्वर्णयुक्त)
गुण व उपयोग: इस बटी के सेवन से पांडु, इन्द्रिय, शिथिलता, कुष्ठ, टट्टी और पेशाब के साथ वीर्य निकलना, जवर, रक्तपित्त, रक्तप्रदर, प्लीहा, अर्श, भगन्दर,...शिलाजित्वादि बटी
गुण व उपयोग: शिलाजित्वादि बटी बहुमूत्र, मधुमेह, इन्द्रिय शिथिलता, शुक्रदोष, वीर्य की क्षीणता में उत्तम लाभ प्रदान करती है। यह शरीर को बल प्रदान करती...शंख बटी
गुण व उपयोग: शंख बटी के सेवन से अरूचि, अपचन, अन्त्रपुच्छ, विष्टम्भ, वेदना, सिर दर्द, मूच्र्छा, भ्रम, पीठ व कमर का जकड़ जाना, जृम्भा, अंग...शम्बूकादि बटी
गुण व उपयोग: शम्बूकादि बटी के सेवन से अजीर्ण, मन्दाग्नि, पेट दर्द, परिणाम शूल, पित्तज शूल, कब्ज आदि रोगों में उत्तम लाभ मिलता है। इसके...Log in
Featured author
Dr. K.L. Dahiya
Veterinary Surgeon, Department of Animal Husbandry & Dairying, Haryana - India