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मोनोसैक्राइड्स, Monopsccharides
कार्बोहाइे्रट; कार्बोहाइे्रट्स का वर्गीकरण; मोनोसैक्राइड; डाइसैक्राइड; पोलीसैक्राइड; कार्बोज की प्राप्ति के साधन; कार्बोज़ के कार्य; कार्बोज़ की कमी का प्रभाव; कार्बोज की अधिकता का प्रभाव; कार्बोज की दैनिक आवश्यकता
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साधारण शर्करा, जिसे कार्बोज की सबसे सरल इकार्इ माता जाता है, मोनोसैक्राइड्स कहलाती है। जटिल कार्बोज पाचन के बाद इन्ही इकार्इयों में बदलते हैं। ये जल-अपघटन (Hydrolysis) क्रिया द्वारा साधारण यौगिकों के रूप में विभक्त नहीं होते। पौष्टिकता की दृष्टि से मोनोसैक्राइड्स में तीन प्रकार की शर्करा पार्इ जाती है - ग्लूकोज (Glucose), फ्रक्टोज (Fructose) एवं गैलेक्टोज (Galactose)।
इस सब में छ: कार्बन अणु होने के कारण इन्हे (Hexoses) भी कहा जाता है। सभी प्रकार के मोनोसैक्राइड्स का सामान्य अणुसूत्र C6H12O6 ही है किन्तु फिर भी इनके गुणों जैसे घुलनशीलता, विसारशीलता तथा मिठास आदि में विभिन्नता पार्इ जाती है। इसका कारण है कि भिन्न-भिन्न मोनोसैक्राइड्स में कार्बन श्रृंखला पर हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन की व्यवस्था भिन्न-भिन्न होती है। मैनोस नामक हैक्सोज न पचने वाले पदार्थों में पाए जाते हैं। बहुत कम मात्रा में यह आड़ू तथा संतरे में भी मिलता है।
ग्लूकोज (Glucose): - ग्लूकोज का रासायनिक सूत्र C6H12O6 है। इसके अणुओं में कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन की व्यवस्था इस प्रकार से है।
सभी कार्बोज पाचन के पश्चात् ग्लूकोज में परिवर्तित होते हैं तथा इसी रूप में ही शरीर में अवशोषित होते हैं। इसलिए रासायनिक दृष्टि से इसे सरलतम शर्करा माना जाता है। ग्लूकोज पानी में घुलनशील, चीनी से कम मीठा तथा सुपाच्य होता है। सरलतम इकार्इ होने के कारण यह शीघ्र अभिपचित तथा अभिशोषित होकर ऊर्जा प्रदान करता है। यही कारण है कि बहुत कमजोर या बेहोश रोगियों को तुरन्त ऊर्जा देने के लिए ग्लूकोज दिया जाता है। रक्त प्लाज्मा तथा लाल रक्त कणिकाओं में भी पाया जाने के कारण इसे रक्त शर्करा भी कहते हैं। रक्त में ग्लूकोज की सामान्य मात्रा 80.0 मि.ग्रा./126 मि.ली. रक्त है। खाना खाने के बाद यह मात्रा बढ़ जाती है। किन्तु कुछ समय के बाद कम होते-होते सामान्य पहुंच जाती है। आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज एक पौलीसैक्राइड, ग्लाइकोजन के रूप में यकृत तथा माँसपेशियों में जमा हो जाता है। आवश्यकता पड़ने पर, संग्रहित ग्लाइकोजन फिर से ग्लूकोज में परिवर्तित होकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। अगर ग्लूकोज की मात्रा शरीर में अधिक हो जाए तो ग्लूकोज वसा में बदल कर एडीपोस तन्तुओं (Adipose tissues) में एकत्रित हो जाता है। केन्द्रिय नाड़ी-संस्थान को मुख्य रूप से ऊर्जा ग्लूकोज से ही प्राप्त है। अंगूर, शहद, मीठे फलों के रस, शकरकन्दी, प्याज, मक्का, आलू, गाजर आदि ग्लूकोज प्राप्ति के मुख्य साधन हैं। माल्टोज, जो कि एक द्वि-शर्करा है, पाचन के बाद दोनो अणु ग्लूकोज के ही बनाती है।
फ्रक्टोज (Fructose): - यह भी ग्लूकोज क समान ही सरल शर्करा है किन्तु हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन परमाणुओं की कार्बन श्रृंखला पर व्यवस्था में भिन्नता होने के कारण इनके गुणों में विभिन्नता पार्इ जाती है। शहद में इसकी मात्रा 40% के लगभग होती है। ऊर्जा प्राप्ति के लिए हमारा शरीर इसका उपयोग शीघ्र ही कर लेता है। यह स्वाद में मीठा और पानी में घुलनशील है। इसके रवे मुश्किल से बनते हैं। सुक्रोज नामक द्वि-शर्करा से एक अणु ग्लूकोज का तथा एक अणु फ्रक्टोज का मिलता है। फ्रक्टोज क्योंकि ग्लूकोज से अधिक मीठी होती है, इसलिए फ्रक्टोज की कम मात्रा भी सुक्रोज की कुछ अधिक मात्रा के बराबर मिठास देने में सक्षम है। फ्रक्टोज छोटी आँत में परिवर्तित हो जाती है।
गैलेक्टोज (Galactose): - गैलेक्टोज का रासायनिक सूत्र ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज की भान्ति ही है, किन्तु यह उनकी तरह मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता। यह जटिल शर्कराओं के साथ संयुक्त अवस्था में दूध या फलियों के बीजों की ऊपरी सतह में तथा थोड़ी सी मात्रा में शहद और मोलैसिज (Molasses) में भी पाया जाता है। लैक्टोज (दुग्ध शर्करा) नामक द्वि-शर्करा पाचन के बाद एक अणु गैलेक्टोज तथा एक अणु ग्लूकोज का देती है। गैलेक्टोज रक्त द्वारा अवशोषित होकर मस्तिष्क तथा तन्त्रिका-तन्तुओं के मुख्य तत्वों - सेरेब्रोसाइड (Cerebroside) तथा गैलेक्टोसाइड (Galactoside) का निर्माण करता है।
सरोज बाला, कुरूक्षेत्र (हरियाणा)