Sections
- प्राकृतिक खेती
- Transformations
- श्रीमद्भगवद्गीता
- योग
- हिन्दी भाग
- पशु पालन
- आयुर्वेद संग्रह
- स्वास्थ्य
- आहार विज्ञान
- कटाई, सिलाई और कढ़ाई (Cutting, Tailoring & Embroidery)
- News
- General
- Quotes
- CAREER TIPS
- The Days
- Festivals
- Herbal Plants
- The Plants
- Livestock
- Health
- Namology
- The Marriage
- Improve Your G.K.
- General Knowledge
- TERMINOLOGY
- Downloads
- Recipes
- World Transforming Personalities
- Geography
- Minerals
- World at a Glance
शशांकासन
शशांकासन का अर्थ है खरगोश। चूंकि इस आसन के अभ्यास में शरीर की आकृति खरगोश जैसी बनती है इसलिए इस आसन को शशंकासन कहते हैं।
शारीरिक यथास्थिती: वज्रासन
अभ्यास विधि:
* सर्व प्रथम वज्रासन में बैठ जाना चाहिए।
* दोनों पैरों के घुटनों को एक दूसरे से दूर फैलाना चाहिए।
* इस प्रकार बैठें कि पैरों के अंगूठे एक दूसरे से मिले होने चाहिए।
* दोनों हथेलियों को घुटनों के बीच पृथ्वी पर रखना चाहिए।
* श्वास को बाहर छोड़ते हुए दोनों हथेलियों को सामने की ओर स्वयं से दूर ले जाना चाहिए।
* आगे की झुकते हुए ठुड्डी को जमीन पर रखना चाहिए।
* दोनों भुजाओं को समानांतर रखना चाहिए।
* सामने की ओर देखें और यह स्थिती बनाए रखें।
* श्वास को अन्दर खींचते हुए पीछे की ओर आना चाहिए।
* श्वास को बाहर छोड़ते हुए वज्रासन में वापस जाना चाहिए।
* पैरों को पीछे खींचकर विश्राममसन में वापस लाना चाहिए।
लाभ:
शशांकासन का अभ्यास तनाव, क्रोध आदि को कम करने में सहायक है।
यह जनन अंग संबंधी व्याधी व कब्ज से मुक्ति दिलाता है।
पचन क्रिया संबंधी व्याधी एवं पीठ दर्द से मुक्ति दिलाता है।
सावधानियां:
अधिक पीठ दर्द में इस अभ्यास को नही करना चाहिए।
घुटनों से सम्बन्धित ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ितों को सावधनीपूर्वक इस अभ्यास को करना चाहिए।