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मकरासन
संस्कृत में मकर शब्द का अर्थ मगर या घड़ियाल होता है। इस आसन में शरीर की स्थिती मगर की आकृति के समान हो जाती है इसलिए इसे मकरासन कहा जाता है।
शारीरिक यथास्थिती: शिथिलता, उदर के बल लेटकर किया जाने वाला आसन
अभ्यास विधि:
* सर्व प्रथम उदर के बल लेटना चाहिए।
* पैरों को एक-दूसरे से दूर फैलाकर, पंजों को बाहर की ओर रखना चाहिए।
* दोनों हाथों को मोड़ते हुए बांए हाथ पर दायां हाथ रखना चाहिए।
* तत्पश्चात् ललाट को अपने हाथों पर रखना चाहिए।
* आँखें धीरे से बंद करना चाहिए। यह स्थिती मकरासन कहलाती है।
* सभी प्रकार के आसनों के पश्चात् शिथिलीकरण के लिए इस आसन का अभ्यास किया जाता है।
लाभ:
कटि प्रदेश के निचले भाग के लिए लाभदायक है।
पीठ से संबंधित समस्याओं के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
अस्थि संबंधी सभी व्याधियों के लिए लाभदायक है।
तनाव एवं चिंता संबंधित समस्याओं के नियन्त्रण मे लाभदायक है।
सावधानियां:
निम्न रक्तचाप, हृदय संबंधित समस्याओं तथा गभावस्था में इस आसन के अभ्यास को नही करना चाहिए।