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शवासन

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शव शब्द का अर्थ मृत देह है। इस आसन में अंतिम अवस्था एक मृत देह जैसी होती है।

शारीरिक यथास्थिती: शिथिल मुद्रा, पीठ के बल लेटकर किया जाने वाला आसन

अभ्यास विधि:

* सर्व प्रथम पीठ के बल लेट जाना चाहिए।

* हाथों और पैरों को आरामदायक स्थिती में फैलाकर रखना चाहिए।

* हथेलियां ऊपर की ओर हों तथा आँखें बंद होनी चाहिए।

* पूरे शरीर को अचेतनावस्था में शिथिल छोड़ देना चाहिए।

* नैसर्गिक श्वास प्रश्वास प्रक्रिया पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

* इस अवस्था को एक लय में मंद-मंद चलने देना चाहिए।

* इस अवस्था में तब तक रहें, जब तक कि पूर्ण विश्रामान्ति चित्त शान्ति हो जाए।

लाभ:

सभी प्रकार के तनावों से मुक्त करता है।

शरीर मस्तिष्क दोनों को आराम प्रदान करता है।

पूरे मन शरीर तन्त्र को विश्राम प्रदान करता है।

बाहरी दुनिया के प्रति लगातार आकर्षि होने वाला मानस अन्दर की ओर गमन करता है। इस तरह यह धीरे-धीरे आत्मसात होता है कि मस्तिष्क स्थिर है।

अभ्यासकर्ता बाहरी वातावरण से अलग होकर शांत बना रहता है।

तनाव एवं इसके परिणामों के प्रबंधन में यह बहुत लाभदायक पाया गया है।

सावधानियां:

उदर संबंधी व्याधी, हर्निया, साइटिका या तीव्र पीठ दर्द तथा गर्भावस्था के समय इस आसन का अभ्यास करें।

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