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घर में लक्ष्मी जी का प्रवेश
1. उत्तर व दक्षिण
हो सके तो उत्तर दिशा में कभी भी रसोई, सीढ़ीयाँ, छत्त पर पानी की टैंकी न बनाएं। रसोई - धन को आग लगाने वाली बात होगी। सीढ़ीयाँ व छत पर पानी की टैंकी - धन दबा देंगी। धन के आने में बहुत दिक्कत। व्यवसाय बिखरना शुरू हो जाएगा।
दक्षिण दिशा में गड्डा, बोरिंग, पानी का गड्डा या नल नही होना चाहिए। ये सभी धन को खा जाएगें।
2. उत्तर-पूर्व व दक्षिण-पश्चिम
अगर हो सके तो उत्तर-पूर्व का हिस्सा खाली रखें या फिर हल्का रखें। उत्तर-पूर्व को नीचा रखें। उत्तर-पूर्व में हो सके तो बोरिंग करवाएं। यदि जरूरत नही है तो भी करवाएं। कभी भी उत्तर-पूर्व में सीढ़ीयाँ न बनाएं, इससे बड़ी चोरी होने की सम्भावना रहेगी। इस दिशा में शौचालय भी न बनवाएं। इस दिशा में रसोई परिवार के आपसी सम्बन्धों को खराब करेगी व बच्चों की विकास वृद्धि को कम करेगी। छत पर पानी की टैंकी सभी प्रकार के विकास को बाधित करेगी।
कभी भी दक्षिण-पूर्व में गड्डा, बोरिेग, भूमिगत पानी का टैंक, नल न बनाएं। इससे ऐसी-ऐसी समस्याएं आएगी जिनका आपसे कोई सीधा सम्बन्ध नही है। घर के मुखिया की मृत्यु तक हो सकती है। धन की कामना न करें। यदि दक्षिण-पश्चिम में रसोई होगी तो परिवार में धन का प्रवाह खत्म हो जाएगा, आपसी सम्बन्ध खराब होंगे। यदि साथ में गड्डा होगा तो धन ज्यादा तेजी से खर्च हो जाएगा। यदि इस दिशा में घर का मुख्य द्वार होगा तो धन नही टिकेगा। यदि दक्षिण-पश्चिम में शौचालय होगा तो धन की ज्यादा बर्बादी होगी व परिवार के आपसी सम्बन्ध खराब होंगे।
3. पूर्व व पश्चिम
ये निष्क्रिय सी होती हैं। फिर भी इनको दोषमुक्त रखें। यदि पैसा है तो पूर्व में बोरिंग रस देगी। पश्चिम में गड्डा, बोरिंग न करें।
4. दक्षिण-पूर्व व उत्तर-पश्चिम
दक्षिण-पश्चिम जितना ऊँचा हो उतना ही उत्तर-पश्चिम होना चाहिए। इन दिशाओं में गड्डा, भूमिगत पानी का स्त्रोत नही होना चाहिए। इनसे धन के होते हुए भी आप धन का रस नही ले पाएंगे।
5. केन्द्र
केन्द्र को लॉबी की तरह उपभोग करें। यहाँ पर स्तम्भ न बनाएं। यदि केन्द्र में स्तम्भ होगा तो यह परिवार की शान्ति को भंग करेगा। केन्द्र में सीढ़ीयाँ धन के मसले को संकट में डाल देंगी, जिससे कर्जा व घर के मुखिया की मृत्यु तक हो सकती है। केन्द्र में रसोई, शौचालय व छत पर पानी की टैंकी भी नही बनानी चाहिए।
भूखण्ड की कोई भी दिशा कटी हुई न हो। यदि उत्तर व उत्तर-पूर्व की दिशा कटी हुई होगी तो धन में कमी होगी। सभी दिशाएं 90º पर हों। भूखण्ड उत्तर, उत्तर-पूर्व व पूर्व की ओर नीचा होना चाहिए।