Dissemination of Knowledge: वसा की कमी से हानियाँ, Effects of deficiency of fats वसा की कमी से हानियाँ, Effects of deficiency of fats ================================================================================ drklsb on वसा तथा लिपिड; वसा की प्राप्ति के साधन; वसा की दैनिक आवश्यकता; वसा के कार्य; वसा की ‌‌‌कमी से हानियाँ; वसा की अधिकता से हानियाँ; वसा की विशेषताएं -------------------------------------------------- 1. आहार में संतृप्त वसा की कमी से साधारणतया कोर्इ हानि नहीं होती क्योंकि ऐसी वसा में मुख्यता ‌‌‌अनावश्यक वसा अम्ल होते हैं। किन्तु असंतृप्त वसा की कमी से आवश्यक वसा अम्लों की कमी हो जाती हैं। इनकी कमी होने से प्रजनन अंग ठीक प्रकार से कार्य नहीं करते तथा त्वचा की बीमारी (Dermatitis) हो जाती है। 2. आवश्यक वसा अम्लों की अधिक कमी होने पर त्वचा की एक अन्य बीमारी जिसे फ्राइनोडर्मा (Phrynoderma) कहते हैं, हो जाती हैं। इस बीमारी में पीठ, पेट तथा टागों पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं, त्वचा ‌‌‌शुष्क हो जाती है तथा बच्चों में दाद व खुजली भी हो सकती है। इस रोग का उपचार भी आवश्यक वसा अम्लों द्वारा होता है। हेनसन (Hansen) तथा साथियों के प्रयोगों द्वारा देखा गया है कि आहार में लिनोलिक एसिड को सम्पूरित करने से त्वचा दो सप्ताह में ही सामान्य हो जाती है। गोपालन तथा साथियों ‌‌‌द्वारा किये गये अध्ययनों से यह सिद्ध हो गया है कि फ्राइनोडर्मा का उपचार आवश्यक वसा एसिड युक्त तेलों के द्वारा ‌‌‌तीव्रता से होता है। इसके साथ विटामिन बी समूह की आवश्यकता भी होती है। 3. वसा की कमी लम्बे समय तक रहे तो शारीरिक भार में कमी आ जाती है। 4. वसा में घुलनशील विटामिनों (A, D, E, K) की कमी के लक्षण दिखायी देने लगते हैं। 5. प्रोटीन अपना मुख्य निर्माणात्मक कार्य छोड़कर ऊर्जा देने लग जाती है जिससे प्रोटीन की कमी के लक्षण दिखायी देने लगते हैं। 6. पाचन तन्त्र प्रभावित होता है तथा कब्ज रहने लगती है। 7. वसा की अत्याधिक कमी से व्यक्ति हड्डियों का ढांचा मात्र रह जाता है।