Dissemination of Knowledge: वसा की अधिकता से हानियां, Effects of excessive intake of fats वसा की अधिकता से हानियां, Effects of excessive intake of fats ================================================================================ drklsb on वसा तथा लिपिड; वसा की प्राप्ति के साधन; वसा की दैनिक आवश्यकता; वसा के कार्य; वसा की ‌‌‌कमी से हानियाँ; वसा की अधिकता से हानियाँ; वसा की विशेषताएं -------------------------------------------------- अधिक मोटापा में वसा ग्रहण करने से निम्नलिखित हानियां होती हैं: 1. मोटापा (Obesity): आवश्यकता से अधिक वसा का सेवन करने से वसा त्वचा के नीचे एकत्रित होने लगती है तथा शरीर पर शरीर का भार बढ़ जाता है। मोटापा अपने आप में एक रोग होने के साथ-साथ दूसरे रोगों को भी बढ़ा देता है। मधुमेह तथा उच्चरक्तचाप जैसे रोग पतले व्यक्तियों की अपेक्षा मोटे व्यक्तियों में अधिक गम्भीर रूप घारण कर लेते हैं। मोटापे से शरीर में सुस्ती आ जाती है तथा गुर्दे अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर पाते हैं। इससे वज्र्य पदार्थों का उत्सर्जन पूरी तरह नहीं होता। 2. हृदय सम्बन्धी रोग (Heart problems): संतृप्त वसा अधिक मात्रा में लेने से रक्त में कॉलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ जाती है (बच्चों तथा प्रौढ़ों में प्लाज्मा कॉलेस्ट्राल का ‌‌‌असामान्य स्तर 150-200 मि.ग्रा. प्रति 100 मि.ली. होता है)। यह कॉलेस्ट्राल रक्त धमनियों के अन्दर जम जाता है जिससे धमनियां सख्त तथा संकुचित हो जाती हैं। रक्त का दबाव (Blood pressure) बढ़ जाता है तथा रक्त परिवहन प्रभावित होता है। रक्त में कॉलेस्ट्राल का स्तर बढ़ने से एथिरोस्कलिरोसिस (Atherosclerosis) नामक रोग हो जाता है जो हृदय सम्बन्धी विभिन्न रोगों का कारण है। कॉलेस्ट्राल का स्तर बढ़ने से पिताशय में पत्थरी (Gall stones) होने का भी भय रहता है। 3. पाचन प्रणाली में दोश (Defect in digestion system): वसा की अधिक मात्रा लेने से पाचक रसों का स्राव कम हो जाता है तथा भोजन पचने में अधिक समय लगता है। इससे आमाशय पर अधिक बोझ पड़ता है तथा व्यक्ति को भारीपन महसूस होता है। पाचन शक्ति बिगड़ जाती है व खट्टे डकार आना, गैस बनना या दस्त लगना जैसे पाचन सम्बन्धी विकार उत्पन्न हो जाते हैं। 4. अम्लीयता (Acidity): मधुमेह से पीड़ित रोगियों को अधि वसा के सेवन से एसिडोसि हो सकता है जिससे शरीर में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है। इसके फलस्वरूप शरीर में एसिड तथा क्षार का सन्तुलन (Acid base balance) बिगड़ जाता है तथा रोगी को बेहोशी हो सकती है। स्थिती के उग्र रूप धारण करने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।