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बाल मजदूरी (Child Labour)
‘बच्चे भविष्य के माता-पिता हैं‘। विलियम वर्डस्मिथ द्वारा कही गई यह पंक्ति परिभाषित करती है कि समाज के विकास के साथ-साथ मानव जाति के सर्वांगीण विकास के लिए बच्चे का सही विकास बहुत महत्त्वपूर्ण है। हमें कभी भी यह नही भूलना चाहिए कि बच्चे भगवान का शुद्धत्तम रूप होते हैं। उनकी मासूमियत हमें सर्वशक्तिमान भगवान के करीब लाती है।
बाल मजदूरी एक व्यवसायिक शब्द है जिसका अर्थ है कि सरकार द्वारा सीमांकित की गई उम्र से कम बच्चों से काम अथवा मजदूरी करवाना।
बच्चों या किशोरों की ऐसे काम में भागीदारी जिससे उनके स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास को प्रभावित या स्कली षिक्षा में हस्तक्षेप नही होता है, को आमतौर पर कुछ हद तक सकारातमक रूप में माना जाता है। इस तरह की गतिविधियाँ जैसे कि घर में अपने माता-पिता की मदद करना, घरेलू व्यवसाय में परिवार का हाथ बंटाना या छुट्टियों के दौरान अपनी जेब खर्च के लिए पैसा कमाना इत्यादि शामिल होती हैं। लेकिन इस तरह की गतिविधयों में उनका शारीरिक विकास व शिक्षा बाधित नही होनी चाहिए। इस प्रकार की गतिविधियाँ बच्चों के विकास व परिवार के कल्याण के साथ-साथ उनके कौषल एवं अनुभव को बढ़ाती हैं जो उनके व्यस्क काल में बहुत उपयोगी साबित होती हैं व उनको समाज का उत्पादक व अच्छा सदस्य बनने में सहायक होते हैं।
‘बाल मजदूर‘ शब्द ‘बच्चों को उनके बचपन, क्षमता और उनकी गरीमा से वंचित करना व साथ ही शारीरिक व मानसिक तौर पर उनके लिए हानिकारक होता है‘ को परिभाषित करता है। बाल मजदूरी इस प्रकार उल्लेखित की जा सकती है:
· बाल मजूदरी मानसिक, शारीरिक या नैतिक रूप से बच्चों के लिए घातक व हानिकारक है।
· बाल मजूदरी बच्चों की शिक्षा में इस प्रकार बाधित होती है
o स्कूल जाने के अवसर से वंचित करती है।
o समय से पहले ही शिक्षा से वंचित करती है। या
o शिक्षा के साथ-साथ लम्बे समय तक व ज्यादा भारी कार्य करने के लिए मजबूर करती है।
बच्चों द्वारा किया गया ऐसा कार्य जो उनके शारीरिक, मानसिक, नैतिकता को खतरे में डाल दे, ऐसे कार्य या श्रम को ‘खतरनाक श्रम‘ की श्रेणी में रखा जाता है।
बाल मजदूरों का शोशण किया जाता है व उनसे खतरनाक स्थिती में काम करवाया जाता है व लम्बे समय व ज्यादा कार्य करवाने के उपरान्त भी उनको श्रम का पूरा पैसा नही दिया जाता है। बाल मजूदर असंगठित श्रमिक मजदूर बल से सम्बन्ध रखते हैं।
बाल श्रम वितरण आर्थिक गतिविधियों के आधार पर किया जाता है, जैसे कि:
· कृषि क्षेत्र में खेत में काम करना, जंगल में शिकार करना, पशुओं के लिए दाना-पानी का प्रबन्ध करना व मछली इत्यादि पकड़ना शामिल होते हैं।
· औद्योगिक क्षेत्र जैसे कि खनन व उत्खनन, विनिर्माण व निर्माण, सार्वजनिक उपयोगी कार्यक्षेत्र जैसे कि बिजली, गैस, पानी आदि शामिल होते हैं।
· सार्वजनिक सेवाएं जैसे कि खुदरा व थोक व्यवसायिक दूकान, रेस्तरां व होटल, चाय की दूकान, परिवहन, भंडारण, संचारण, वित्त, बीमा, रीयल-एस्टेट, व्यापार सेवाएं व सामाजिक व्यक्तिगत सेवाएं इत्यादि शामिल होती हैं।
हमारी सरकार ने बाल मजदूरी के उन्मूलन व जमीनी स्तर से बाल मजदूरी प्रथा को समाप्त करने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश निर्धारित किये हैं।
क) किसी भी बच्चे जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम है, को खतरनाक कार्य में समायोजित नही किया जाएगा।
ख) बच्चों को उनके बचपन व यौवनावस्था के दौरान शोषण से बचाया जाएगा व उनको नैतिक व भौतिक परित्याग के खिलाफ सरंक्षण प्रदान करवाया जाएगा।
ग) सभी राज्य संविधान के प्रारम्भ से 10 वर्ष की अवधि के भीतर, 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य उपलब्द्ध करवाएंगें।
गरीबी के कारण गरीब माता-पिता अतिरिक्त आय अर्जित करने के कारण अपने बच्चों को मजदूरी में लगा देते हैं। इस प्रकार अतिरिक्त आय अर्जित करने के कारण माता-पिता मजबूरन यह भूल जाते हैं कि बच्चों को बचपन का आन्नद लेने का अधिकार भी है। हमारे देश में 250 मिलियन से भी ज्यादा बाल मजदूर हैं।
बाल मजदूर मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए पूर्णकालिक शिक्षा ही बाल श्रम को रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। हमारी सरकार को चाहिए कि हर नागरिक को राष्ट्र की भागीदारी निभाने के लिए बच्चों के पूर्ण विकास के लिए अच्छे कदम उठाने चाहिए। सभी को शिक्षा का समान अधिकार होना चाहिए। आज दिन-प्रतिदिन शिक्षा गरीब परिवार की पहुंच से दूर होती जा रही है। बाल मजदूरी को जड़ से मिटाने के लिए अच्छी शिक्षा ही एकमात्र उपाय है।
आभा, 10वीं कक्षा, पूजा मॉडल सीनियर सैकण्डरी स्कूल, कुरूक्षेत्र (हरियाणा) - भारत